कहते हैं जो कुछ महाभारत में है , वही इस धरती पर है l दुर्योधन का चरित्र इस सत्य को उजागर करता है कि जीवन भर धोखा , छल -कपट , और षड्यंत्र करने का दुष्परिणाम क्या होता है l दुर्योधन के हठ और अहंकार के कारण कितने ही राजा - महाराजा , सैनिक आदि मारे गए l इन सब की मृत्यु को देखना उसके लिए बहुत सरल था लेकिन जब उसके सामने मृत्यु आई तो वीर और शक्तिशाली होते हुए भी काँप गया , उसमे जीवन की चाह पैदा हो गई और अपनी मृत्यु से बचने के लिए हस्तिनापुर का युवराज वस्त्रहीन हो गया l अपना जीवन , जीवन है और दूसरे के जीवन की कोई कीमत नहीं ! यह सत्य आज भी देखा जा सकता है l यह कथानक इस सत्य को भी बताता है कि धोखा और षड्यंत्र रचने वाले अपनी योजना को कितना ही गुप्त रख लें , उन पर ईश्वर की कृपा नहीं होती है इसलिए कोई न कोई कमी रह जाती है ताकि सच दुनिया के सामने आ सके l दुर्योधन का भी पूरा शरीर वज्र का नहीं हो सका , उसमे कमी रह गई थी l इस कमी के कारण ही उसके साथ पूरे कौरव वंश का अंत हुआ और ' महाभारत ' महाकाव्य के माध्यम से यह सत्य दुनिया के सामने आया l
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