पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ------ " कायरता मनुष्य का बहुत बड़ा कलंक है l कायर व्यक्ति ही संसार में अन्याय , अत्याचार तथा अनीति को आमंत्रित किया करते हैं l संसार के समस्त उत्पीड़न का उत्तरदायित्व कायरों पर है l " कायरता इस सीमा तक है कि युद्ध में वीरता के नाम पर संसार में युद्ध की आड़ में महिलाओं पर अत्याचार सर्वाधिक होते हैं l पुरुष को सबसे ज्यादा भय महिलाओं से है कि कहीं उनका व्यक्तित्व पुरुष से प्रखर न हो जाये , कहीं महिलाएं योग्यता में , विचारों में पुरुष से आगे न हो जाएँ ,----- पुरुषों के इस भय के कारण ही परिवारों में , विभिन्न संस्थाओं में , समाज में महिलाओं को शोषण , उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है l जब तक महिलाओं के हित में कानून नहीं थे तब तक उन पर अत्याचार खुलेआम होते थे , सती -प्रथा , बाल -विवाह , विधवाओं की दयनीय स्थिति --- इतिहास के पन्ने इन आंकड़ों और आहों से भरे हुए हैं l हर जाति , हर धर्म ने महिलाओं को सताया है , सबके तरीके अलग -अलग हैं l अब महिलाओं के हित में अनेक कानून बन गए , लेकिन कानून बन जाने से मानसिकता नहीं बदलती l पुरानी आदतें छूटती नहीं हैं , पीढ़ी -दर -पीढ़ी संस्कार रूप में आती हैं l मानसिकता वही है अत्याचार करने की , उत्पीड़ित करने की लेकिन अब इस आधुनिक समाज में स्वयं को सभ्य , सुसंस्कृत और सज्जन पुरुष दिखाने की होड़ है l कहते हैं अच्छाई में गजब का आकर्षण होता है इसलिए बुरे से बुरा व्यक्ति भी अच्छाई का मुखौटा लगाकर घूमता है l इस मुखौटे ने उनकी वीरता को छीन लिया , अब महिलाओं को सताने के लिए छल -कपट , षड्यंत्र , धोखा , फरेब ----- आदि अनेक तरीकों का इस्तेमाल होता है , सूचना तंत्र के आविष्कारों ने इसे और भी अधिक सरल बना दिया है l फिर तंत्र -मन्त्र , काला जादू आदि को चाहे कानून मान्यता न दे लेकिन असंख्य बाबा -वैरागी इसी की दम पर पूरे संसार में हैं l समस्या तो बहुत विकट है , इसका समाधान पुरुष के हाथ में है l स्थान -स्थान पर पुरुषों के सुधार के कैम्प लगने चाहिए l यदि आने वाली पीढ़ियों को आदर्श चाहते हैं तो स्वयं अच्छे बनों , विचारों से भी और आचरण से भी l क्योंकि बच्चे अपने माता -पिता का ही प्रतिरूप होते हैं , बबूल के पेड़ में कभी आम नहीं लगता l
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