20 October 2022

WISDOM ----

 आज  की  सबसे  बड़ी  विडंबना  यह  है  कि  मनुष्य  के  पास  जो  कुछ  है  वह  उससे  खुश  नहीं  है , संतुष्ट  नहीं  है  l  इससे  भी  बड़ी  बात  ये  है  कि    जो  आसुरी   प्रवृत्ति   के  हैं   वे  तो   अपने  पड़ोसी,  रिश्ते -नाते  --- किसी  की  ख़ुशी  को  सहन  नहीं  कर  सकते   l   उनका   हर  संभव  प्रयास   यही  रहता  है  कि  कैसे  किसी  की  ख़ुशी  को  छीना  जाये  ,  उनको  दुखी  देखकर  ही   उनकी  आत्मा  को  संतुष्टि  मिलती  है  l  कलियुग  में  दुर्बुद्धि  के  कारण  ऐसे  लोगों  की  संख्या  अधिक  होने  के  कारण  ही   लोगों  के  जीवन  में  तनाव  है  , सुख -चैन  की  नींद  नहीं  आती  l   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- ' आज  मनुष्य  भौतिकवादी  बनकर  नास्तिक  बन  गया  है   l  अपने  लाभ  से  अधिक  उसे  इस  बात  की  चिंता  है  कि  पड़ोसी  की  हानि  कैसे  हो  ? '  एक  कथा  है  -------- एक  व्यक्ति  ने  भगवान  शिव  की  बहुत  पूजा -प्रार्थना  की  l   शिवजी  ने  प्रसन्न  होकर  दर्शन  देकर  कहा  ---- " मांग , क्या  मांगता  है  ? "  मन  की  गहराई  में  जिसकी  जैसी  सोच  होती  है ,  उसके  मुँह  से  वही  निकलता  है  l  उसने  कहा --- ' भगवान  ! पड़ोसी  हमसे  दूने  रहें  l '  भगवान  तो  भोलेनाथ  हैं , उनने  कहा  ---' तथास्तु  l '  और  अंतर्धान  हो  गए  l  वह  व्यक्ति  मन -ही -मन  खूब  खुश  हुआ  l  घर  पहुंचा  l  पूजा -पाठ  से , कर्मकांड  से  ईर्ष्या -द्वेष  गया  नहीं  , वह  बोला --- 'भगवान ! मेरा  एक  हाथ  टूट  जाए  l "  पड़ोसियों  के  दोनों  हाथ  टूट  गए  l   फिर  बोला --- " भगवान  !  मेरी  एक  आँख  फूट  जाए  l "  पड़ोसियों  की  दोनों  आँख  फूट  गई   l  फिर  भी  उसे  शांति  नहीं  मिली  l  कहने  लगा --- 'भगवान  !  मेरा  एक  पैर  टूट  जाए  l "  पड़ोसियों  के  दोनों  पैर  टूट  गए  l   स्वयं  काना  होकर  लंगड़ाते  हुए  पड़ोसियों  को  देखने  गया  ,  तब  कहीं  उसके  मन  को  तसल्ली  हुई  l     आज  मनुष्य  पर  नकारात्मकता  हावी  है , उसके  सोचने  का  ढंग  बदल  गया  इसलिए  स्वयं  भी  दुखी  है  तथा  औरों  को  भी  दुखी  करने  का  प्रयास  करता  है  l  

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