गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है ---- मोहि कपट , छल , छिद्र न भावा l निर्मल मन जन सो मोहि पावा l जिनका भी मन निर्मल है , सरलता है उन्हें कभी -न -कभी और किसी -न -किसी रूप में ईश्वर की अनुभूति अवश्य हुई है l जिनके मन में कपट है , ईश्वर उनसे कोसों दूर है l एक कथा है ----- एक गरीब विधवा स्त्री थी l उसका एक बेटा था रामू l उसने उसे स्कूल भेजा l उसके घर से विद्यालय बहुत दूर था और रास्ते में जंगल पड़ता था l रामू बहुत छोटा था इसलिए उसे जंगल में डर लगता था l वह अपनी माँ से कहता --- " माँ , मुझे जंगल में डर लगता है , तुम मुझे पहुँचाने चलो l " माँ ने कहा --- " बेटा , मैं घरों में काम करने जाती हूँ , तेरे साथ नहीं जा सकती l हाँ , जंगल में तेरा भाई गोपाल रहता है , वहीँ गाय चराता है , तू उसे बुला लेना l " अब जंगल में पहुँचते ही रामू ने पुकारा --- 'गोपाल भैया जल्दी आओ , मुझे डर लग रहा है l ' कृष्ण भगवान ग्वाले के रूप में आ गए और रोज उसे विद्यालय पहुंचा देते l अब रामू बहुत खुश था , माँ से कहता -- 'माँ , गोपाल भैया रोज आ जाते हैं , अब मुझे डर नहीं लगता l ' माँ को कुछ समझ नहीं आया , वह संतुष्ट हो गई कि उसका बेटा अब डरता नहीं है , रोज स्कूल जाता है l एक दिन स्कूल में उत्सव था , गुरु जी ने सब बच्चों से कहा --- " कल यहाँ उत्सव है , सब बच्चे कुछ न कुछ लेकर आना l " रामू घर आया और अपनी माँ से कहने लगा --- माँ , कल स्कूल ले जाने के लिए तुम भी मुझे कुछ दो , गुरु जी ने कहा है l सब बच्चे कुछ न कुछ लायेंगे , इसलिए मैं खाली हाथ जाऊं तो अच्छा नहीं लगेगा l माँ , बेचारी बहुत गरीब थी , दो वक्त का भोजन तो मुश्किल था , उपहार कहाँ से लाती l उसने कहा --- " बेटा , कल गोपाल भैया से कुछ मांग लेना , वो किसी को मना नहीं करते l " जंगल आने पर रामू ने पुकारा --- " गोपाल भैया जल्दी आओ l " भगवान कृष्ण ग्वाले के वेश में आए , उनके हाथ में छोटी सी मटकी थी l उन्होंने कहा -- ' मुझे मालूम था कि तुम्हारे स्कूल में उत्सव है इसलिए यह दही की छोटी सी मटकी तुम उपहार में ले जाओ l " रामू बहुत खुश , बहुत खुश ! स्कूल पहुंचा , सब बच्चे बड़े -बड़े उपहार लाए थे , गुरु जी ने रामू की छोटी सी मटकी को देखा तो उपेक्षा से कहा --- 'जा उस कोने में रख दे l ' संयोगवश खाना खाते समय दही समाप्त हो गया l गुरु जी को मटकी की याद आई l मटकी से दही निकला तो मटकी खाली नहीं हुई , जितने भी बरतन वहां थे ,सब भर गए लेकिन मटकी खाली नहीं हुई l इस चमत्कार से सब आश्चर्य चकित थे l गुरूजी ने रामू से पूछा --- " यह मटकी कहाँ से लाए हो ? " रामू ने गर्व से कहा न--- " मेरे गोपाल भैया ने दी है , मैं डरता हूँ , इसलिए वे जंगल में मेरे साथ चलते हैं l " गुरु जी ने कहा --- " तू मुझे गोपाल भैया के दर्शन करा दे l " वे रामू के साथ चले , रामू ने पुकारा , गोपाल भैया आए लेकिन गुरु जी को वे दिखाई नहीं दिए l रामू कहता रहा --'देखिए , ये हैं मेरे गोपाल भैया , लेकिन गुरु जी को दर्शन नहीं हुए l रामू के पूछने पर भगवान ने कहा --- इनका मन तुम्हारे जैसा निर्मल नहीं है l
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