7 December 2022

WISDOM ----

  पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- ' सामान्य  जन  प्रेरणा  तभी  लेते  हैं  , जब  आदर्शों  की  चर्चा  करने  वाले  ,  नीतिवेत्ता ,  नियम  बनाने  वाले   स्वयं  भी  उनका  पालन  करें  "    आज  संसार  में  एक  -से -बढ़कर -एक  उपदेश  देने  वाले , प्रवचन  करने  वाले  हैं  , जिन्हें  सुनने  के  लिए  हजारों , लाखों  की  भीड़  तो  इकट्ठी  हो  जाती  है   लेकिन  उनके  उपदेशों  का  असर  किसी  पर  भी  नहीं  होता  l  इसका  कारण  यही  है   कि  उनमे  से   कुछ  को  छोड़  कर  शेष  सब    उपदेश  तो  अच्छा  देते  हैं  लेकिन  उनकी  असलियत  सिर्फ  ईश्वर  ही  जानते  हैं  , उनके  उपदेश  और  आचरण  में  बहुत  अंतर  है  l  यही  कारण  है  कि  संसार  में  इतनी  अशांति , इतना  तनाव   है   l  संसार  को  सही  राह  दिखाने  की  जिम्मेदारी  ईश्वर  ने  जिनको  सौंपी  है   उनकी  राह ---- ?  एक  इतिहास  का  प्रसंग  है ------  सम्राट  बिंबसार  का  शासनकाल  था  l  एक  साल  लू  बहुत  चली , प्रजा  के  झोंपड़े  फूस  के  बने  थे  l  लोग  लापरवाही  करने  लगे  ,इस  कारण  अग्निकांड  की  घटनाएँ  बहुत  अधिक  होने  लगीं   और  शासन  द्वारा  दी  जाने  वाली  सहायता  राशि  का  खरच  भी  बढ़  गया  l  लोगों  की  लापरवाही  रोकने  के  लिए  राजाज्ञा  प्रसारित  हुई  कि  जिसका  घर  जलेगा  उसे  एक  वर्ष  तक  शमशान  में  रहने  का  दंड  भुगतना  पड़ेगा  l  लोग  चौकन्ने  हो  गए  l  एक  दिन  राजा  के  भूसे  के  कोठे  में  आग  लगी  और   देखते  ही  देखते  वह  जल  गया  l  समाचार  मिलने  पर  दरबार  से  राजा  को  श्मशान  में  रहने  की   आज्ञा  हुई  l  दरबारियों  ने  समझाया  कि ---- " नियम  तो  प्रजा जनों  के  लिए  होते  हैं  , राजा  तो  उन्हें  बनाता  है  इसलिए  वे  उस  पर  लागू  नहीं  होते  l  " परन्तु  बिंबसार  ने  किसी  की  न  मानी   और  वे  एक  वर्ष  तक  फूस  की  झोंपड़ी  बनाकर  श्मशान  में  रहने  लगे  l  समाचार  फैला  तो  सतर्कता  सभी  ने  अपनाई   और  अग्निकांड  का  सिलसिला  समाप्त  हो  गया  l  

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