महाभारत का महायुद्ध ईर्ष्या, द्वेष , लालच , अहंकार , छल , कपट और षड्यंत्र का परिणाम था l ये बुराइयाँ उस समय राजपरिवारों तक सीमित थीं लेकिन अब और अधिक विशाल रूप में पूरे संसार में हैं l छोटी -बड़ी कोई संस्था , कोई परिवार , कोई देश इनसे बचा नहीं है ,, कुछ अपवाद हो सकते हैं l द्वापर युग में यह स्पष्ट था कि दुर्योधन अपने पिता के संरक्षण में मामा शकुनि के साथ मिलकर षड्यंत्र रचता था , जिसमे दु: शासन , कर्ण आदि सब साथ देते थे लेकिन इस युग में जब नैतिक और मानवीय मूल्य सब भूल चुके हैं तब षड्यंत्र के पीछे कौन है यह जानना कठिन है लेकिन महाभारत की समस्याएं कलियुग के दिशा -निर्देश हैं l षड्यंत्रकारी एक बार षड्यंत्र कर के चुपचाप नहीं बैठता , वह बार - बार षड्यंत्र रचता है और उसका पैटर्न वही बार -बार दोहराया जाता है जैसे जब कौरव , पांडव बालक थे तभी भीम को जहर दे कर नदी में डुबो दिया था , , फिर वारणावत , जुआ खेलने का आमंत्रण आदि एक के बाद एक षड्यंत्र उन्हें मिटाने और अपमानित कर मनोबल कम करने के लिए थे , और द्रोपदी के पांच पुत्रों के वध के साथ ऐसे षड्यंत्र का अंत हुआ l नकारात्मक और अंधकार की शक्तियां अनेक हैं और उनके अपने भिन्न -भिन्न तरीके हैं , जिन्हें वे बार - बार इस्तेमाल करते हैं , ऐसा कर के उन्हें आनंद मिलता है , इस तरह उनको पहचान कर जागरूक रहा जा सकता है l हम संसार को नहीं सुधार सकते लेकिन स्वयं जागरूक रहकर शांति और सुकून से जीवन जी सकते हैं l
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