पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---' सच्ची लगन और एक निष्ठा के साथ विवेकपूर्ण प्रयत्न करने से ही सफलता प्राप्त होती है l परिश्रम और प्रयत्न से मनुष्य के भीतर छिपी हुई अनेकानेक शक्तियां और योग्यताएं प्रस्फुटित होती हैं , फिर उनके द्वारा वह संपदाएँ प्राप्त हो जाती हैं जो कल्प वृक्ष द्वारा प्राप्त होनी चाहिए l जो अपनी मदद आप करता है , परमात्मा भी उसकी मदद करता है l " ----- एक नन्हा बीज अपने संकल्प के साथ धरती की गोद में गिरा , तभी प्रकृति ने उसके संकल्प की परीक्षा लेनी शुरू की l धरती ने उस पर अपना भार बढाया l तभी कहीं से बीज को जल की एक बूंद मिली और बीज फूट पड़ा और अंकुर में बदल गया l धीरे -धीरे उस अंकुर में से तना निकला l उस तने की परीक्षा के लिए वायुदेव ने भयंकर उपक्रम किया , जिसमें बड़े -बड़े वृक्ष धराशायी हो गए , लेकिन वह पौधा विनम्रता के साथ इधर -उधर झुकता रहा और आंधी उसका कुछ न बिगाड़ सकी l अब इस बार उसका सामना उपवन में फैली खरपतवार से हुआ l उसने उसे चारों ओर से घेर लिया , पर माली पौधे के संकल्प से बहुत प्रभावित हुआ l उसने पौधे के चारों ओर फैली झाड़ियाँ काट दीं l वह पौधा संकल्प के साथ आगे बढ़ता हुआ वृक्ष बन गया l गुरु ने अपने शिष्यों को समझाते हुए कहा --- 'जो बीज की भांति स्वयं को गलाना जानता है , बाधाओं से टकराना जानता है , प्रतिघातों से जो विचलित नहीं होता , तप -तितिक्षा से जो कतराता नहीं , उसी का जीवन सुरभित , प्रस्फुटित और विकसित होता है l '
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