1 May 2023

WISDOM ------

  ' लालच  बुरी  बला  '------- पुराण  की  एक  कथा  है ----- महापंडित  कौत्स  स्नान  कर   एक  ऊँची  शिला  पर  बैठकर  सूर्य  को  अर्घ्य  दान   दे  रहे  थे  l  एक  घड़ियाल  उन्हें  बहुत  देर  से  ताक  रहा  था  ,  पर  वे  सावधान  थे , अत: पानी  से  हटकर  बैठे  थे  l  यमुना  की  तलहटी  से  रत्नों  की  राशि   उछलकर  उस  घड़ियाल  ने  कौत्स  के  आसपास  बिखेर  दी   और  स्वयं  पानी  में  छिप  गया  l  कौत्स  ने  जब  देखा  कि  रत्न  बिखरे  हुए  हैं  , कोई  देख  नहीं  रहा  ,  तो  उन्होंने  जल्दी -जल्दी  बीनकर  उन्हें  अपने  उत्तरीय  में  बाँध  लिया  l  घड़ियाल  को  मौका  मिल  गया  l  उसने  सिर  ऊपर  कर  कहा  --- " आचार्य  !  यह  तो  एक  तुच्छ  भेंट  थी  l  आप  मुझे  त्रिवेणी  तक  पहुंचा  दें  l  मैंने  वहां  का  मार्ग  नहीं  देखा  l   आपको  पीठ  पर  बैठा  लेता  हूँ  l  मैं  आपको  वहां  अनगिनत  रत्न  दूंगा  l  "  महापंडित  कौत्स  को  लालच  आ  गया   और  उन्होंने   प्रसन्नतापूर्वक  वह  प्रस्ताव  स्वीकार  कर  लिया  l  अभी  वह  घड़ियाल  बीच  धार  में  ही  था  कि  हँस  पड़ा  l  कौत्स  ने  पूछा ---- "ग्राहराज  !  आप  हँसे  क्यों  ?  "  ग्राह  बोला  ---- " पंडितप्रवर  !  आप  जीवनभर  दूसरों  को  उपदेश  देते  रहे  कि  लालच  नहीं  करना  चाहिए  ,  पर  स्वयं  उसका  पालन  नहीं  कर  पाए  l  आज  आपका  सर्वनाश  सुनिश्चित  है  l  "   यह  कहकर  उसने  उन्हें  उछाला   और  उदरस्थ  कर  लिया  l  

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