1 . लघु -कथा ---- एक बिच्छू की कछुए से दोस्ती हो गई l बिच्छू बोला --- " तुम मुझे पार पहुंचा दो , डंक नहीं मारूंगा l " कछुआ राजी हो गया और बिच्छू को पीठ पर बैठाकर पानी में तैर चला l अभी कुछ ही दूर चला था कि बिच्छू ने डंक मार दिया l कछुए ने पूछा --- ' यह क्या किया ? " बिच्छू बोला --- "यह तो मेरा स्वभाव है l " कछुए ने कहा --- " अच्छा हुआ मैंने अपने को सुरक्षित किया हुआ है , पर तेरे आततायीपन का दंड तो तुझे मिलना ही चाहिए l " यह कहकर कछुए ने पानी में दुबकी मार ली और बिच्छू पानी में डूबकर मर गया l ' अपने ही दोष अंततः विनाशकारी सिद्ध होते हैं l '
2 . लघु -कथा ---- एक भला खरगोश था l सभी पशुओं की सहायता करता और मीठा बोलता था l जंगल के सभी जानवर उसके मित्र थे l एक बार खरगोश बीमार पड़ा , उसने आड़े समय के लिए कुछ चारा -दाना अपनी झाड़ी में छिपा रखा था l सहानुभूति प्रदर्शन के लिए जिस मित्र ने सुना वही दौड़ा आया और आते ही संचित चारे -दाने में मुंह मारना शुरू किया l एक ही दिन में वह सब समाप्त हो गया l खरगोश अच्छा तो होने लगा , पर कमजोरी में चारा ढूंढने के लिए जा न सका और भूखों मर गया l उथली मित्रता और कुपात्रों की सहानुभूति सदा हानिकारक ही सिद्ध होती है l सच्चे मित्र थोड़े ही हों पर भले हों , वक्त पर काम आ सकें l
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