लघु कथा --- राजू एक चंचल लड़का था , जंगल में सैर के लिए जाता था l एक दिन उसने देखा कि एक शेर बैठा है , उसकी आँख में आंसू है , पैर में काँटा चुभा हुआ है , वह दर्द से कराह रहा है l राजू ने हिम्मत की और आगे बढ़कर शेर के पैर से काँटा निकाल दिया और अपने पास जो मरहम रखे था , वह उसकी चोट में लगा दिया l शेर को बहुत आराम मिला और अब उसकी राजू से दोस्ती हो गई l इस अहसान के बदले वह राजू को अपनी पीठ पर बैठकर जंगल की सैर कराया करता था l एक दिन कुछ गाँव वालों ने राजू को शेर के साथ देखा तो शेर से डरकर भागने लगे l राजू ने उन्हें रोकते हुए कहा --- अरे ! भागो मत ! यह तो मेरा पालतू कुत्ता है l ' शेर को यह सुनकर बहुत बुरा लगा , वह गुर्रा कर चला गया l उसके बाद उसने कभी राजू को अपनी पीठ पर नहीं बैठाया , उसके पास भी नहीं आया l यह कथा इस सत्य को बताती है कि प्रेम , अपनापन , मान -सम्मान जानवर भी समझते हैं , मजाक में भी झूठ बोलकर कभी किसी का अपमान नहीं करना चाहिए l
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