18 June 2023

WISDOM -----

  एक  बार  रानी  रासमणि  के  गोविन्द जी  की  मूर्ति  पुजारी  के  हाथ  से  गिरने  के  कारण  खंडित  हो  गई  l  रानी  रासमणि  ने  ब्राह्मणों  से  उपाय  पूछा  l  ब्राह्मणों  ने  खंडित  मूर्ति  को  गंगा  में   विसर्जित  कर  नई  मूर्ति  बनवाने  का  सुझाव  दिया  l  उनके  इस  सुझाव  से  रानी  बहुत  दुःखी  हुईं  कि  अब  तक  जिन  गोविन्द  जी  को   श्रद्धा -भक्ति  के  साथ  पूजा  जाता  रहा  , उन्हें  अब  गंगा  में  विसर्जित  करना  पड़ेगा  l  उन्होंने  रामकृष्ण  परमहंस  से   इस  संबंध  में  पूछा  तो  वे  बोले ---- " यदि  आपके  किसी  संबंधी  का  पैर  टूट  जाता   तो  आप  उसकी  चिकित्सा  करवातीं  या  उसे  नदी  में  प्रवाहित  करतीं  ? " रानी  रासमणि  उनका  आशय  समझ  गईं  l  उन्होंने म खंडित  मूर्ति  को  ठीक  करवाया  और  पहले  की  भांति  पूजा  आरम्भ  कर  दी  l  एक  दिन  किसी  ने  स्वामी  रामकृष्ण  परमहंस  से  पूछा --- " मैंने  सुना  है  कि  इस  मूर्ति  का  पैर  टूटा  है  l "  इस  पर  वे  हँसकर  बोले ---- "  जो  सबके  टूटे  को  जोड़ने  वाले  हैं , वे  स्वयं  टूटे  कैसे  हो  सकते  हैं  l  " 

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