पुराण में एक कथा है ---- समुद्रमंथन के दौरान भगवान शिव ने जगत कल्याण के लिए विष का पान कर लिया था l इससे उनका कंठ नीला पड़ गया l ऐसा माना जाता है कि जिस माह में महादेव ने विषपान किया , वह सावन माह था l विषपान से भगवान शिव के शरीर का ताप बढ़ने लगा , जिसे शांत करने के लिए देवों ने शीतलता प्रदान की , लेकिन इससे भी भगवान शिव की तपन शांत नहीं हुई , तब उन्होंने शीतलता पाने के लिए चंद्रमा को अपने सिर पर धारण किया l देवराज इंद्र ने घनघोर वर्षा की जिससे भगवान शिव को शीतलता मिले l इसी घटना के बाद से सावन के महीने में शिवजी को प्रसन्न करने और शीतलता प्रदान करने के लिए जलाभिषेक किया जाता है l
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