धर्म के नाम पर लोग कितना लड़ते -झगड़ते हैं लेकिन सत्य यही है कि जैसे सूर्य एक है वैसे ही ईश्वर भी एक है , हम अपनी सुविधा अनुसार उसे अपने -अपने ढंग से पुकारते हैं l बहुत सरल ढंग से देखें तो एक हिन्दू अचानक दुर्घटना होने , चोट लगने पर कहेगा 'हाय राम ', मुस्लिम कहेगा 'उई अल्लाह ' ईसाई कहेगा 'ओ माय गॉड ' ! पुकारते सब उसी अज्ञात शक्ति को हैं बस ! भाषा अलग और नाम अलग है l सभी धर्मों की मूल शिक्षा एक सी हैं , सभी ने सत्य , अहिंसा , प्रेम , करुणा , दया , ईमानदारी , कर्तव्यपालन आदि सद्गुणों को अपनाकर सन्मार्ग पर चलने पर जोर दिया है l अपने ईश्वर को पुकारने के तरीके चाहे हमारे भिन्न -भिन्न हों लेकिन धर्म सारे संसार के लिए एक ही हो ' मानव धर्म ' --मनुष्य की चेतना विकसित हो , वह सच्चा इन्सान बनें , तभी संसार में सुख -शांति आएगी l ------- जापानी संत नान -इन के पास एक कैथोलिक पादरी मिलने गए l उन्होंने उनसे कहा --- " मेरे पास ईसा के उपदेशों की एक पुस्तक है , यह मुझे अत्यंत प्रिय है l मैं इसे आपको पढ़कर सुनाना चाहता हूँ l " संत नान -इन ने कहा --- " अवश्य , यह मेरे ऊपर अनुग्रह होगा l " यह सुनकर पादरी ने 'दि सरमन ऑन दि माउंट ' की कुछ पंक्तियाँ पढ़ीं l इन्हें सुनकर नान -इन भावविभोर हो गए l उनकी आँखों से आँसू बह निकले और वह ध्यानस्थ हो गए l ध्यान टूटने पर उन्होंने कहा --- " ये तो बुद्ध के वचन हैं , इन्हें सुनकर मैं धन्य हो गया l " यह सुनकर पादरी बोले ---" लेकिन ये तो ईसा के वचन हैं l " इस पर नान -इन ने कहा --- " तुम जो भी नाम दो , पर मैं कहता हूँ , जहाँ ज्ञान और प्रेम अपने शिखर पर होते हैं , मानव चेतना का शिखर होता है , वहां सब एक हैं , फिर उनका स्वरुप कोई भी क्यों न हो l "
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