1 . एक व्यापारी घोड़े पर नमक और एक गधे पर रुई की गांठें लादे जा रहा था l रास्ते में एक नदी मिली l पानी में घुसते ही घोड़े ने पानी में डुबकी लगाईं तो काफी नमक पानी में घुल गया l गधे ने घोड़े से पूछा --- यह क्या कर रहे हो ? घोड़े ने कहा --- वजन हल्का कर रहा हूँ l यह सुनकर गधे ने भी दो डुबकी लगाईं , पर उससे गांठें भीगकर इतनी भारी हो गईं कि उसे ढोने में गधे की जान आफत में पड़ गई l आचार्य जी कहते हैं --- कुरीतियों और कुप्रचलनों की बिना समझे -बूझे की गई नक़ल कठिनाइयाँ बढ़ाती है , सुविधा नहीं l '
2 . एक परिवार में विवाह का अवसर था , बहुत मेहमान इकट्ठे थे , बहुत मिष्ठान -पकवान बन रहे थे , तब घर की एक पालतू बिल्ली ने बहुत उधम मचाया l हर चीज में मुँह डाल देती और जूठा कर देती l घर की मालकिन ने उसे पकड़कर नांद के नीचे बंद कर दिया l फिर वह काम में लग गई l कई रोज काम में व्यस्त रहने के कारण उसे बिल्ली को निकालने की बात याद न रही और वह बिल्ली उसी में दबकर मर गई l बारात जब लौटकर आई और बहू ने घर में प्रवेश किया , उसी समय मालकिन को बिल्ली की याद आई l उसे निकाला गया , तो मरी मिली l उसे फिंकवाया गया l नई बहू यह सब देख रही थी l उसने समझ लिया कि यही इस घर की परंपरा है l उसके एक पुत्र हुआ l पुत्र के बड़े होने पर उसका विवाह हुआ , बारात गई और नई बहू आई l उसने भी बारात जाने से पहले एक बिल्ली नांद के नीचे बंद की , वह बिल्ली मर गई और जैसे ही नई बहू ने घर में प्रवेश किया , उसने उस मरी बिल्ली को फिंकवाया l जो उसने देखा था , उसे कुल परंपरा समझा और उसी का पालन करने में अपना धर्म और कल्याण समझा l आजकल विभिन्न जातियों और धर्मों में ऐसी ही कई अंध परम्पराएँ फैली हैं , जिनकी कोई उपयोगिता नहीं है लेकिन बिना विचारे उनका क्रम चलता रहता है , भेड़ों की तरह सब उनका अंधानुकरण करते चले जाते हैं , उसमें अपना समय , ऊर्जा व धन बरबाद करते हैं l
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