12 August 2023

WISDOM

  लघु कथा ----एक  बार  की  बात  है  घनघोर  पानी  बरस  रहा  था  l  दूर -दूर  तक  जल  ही  नजर  आता  था  l  ऊपर  उड़ती  हुई  दो  बतखों  की  द्रष्टि  एक  कछुए  पर  पड़ी  ,  जो  एक  पेड़  की  टहनी  मुँह  से  पकड़े   किसी  तरह  स्वयं  को  प्रकृति  के  प्रहार  से  बचाने  में  लगा  था  l  बतखों  को  कछुए  पर  दया  आ  गई  ,  वे  उसके  पास  जाकर  बोलीं ---" आओ  कछुए  भाई  !  तुम  टहनी  पकड़े  रहो   और  हम  तुम्हे  उड़ाकर   सूखी  जमीन  तक  पहुंचा  देते  हैं  l  बस , किसी  भी  स्थिति  में  अपना  मुँह  न  खोलना  l '  कछुए  ने  सीख  को  समझे  बिना   हाँ  कर  दी  l  दोनों  बतखों  ने  टहनी  के  सिरे   पकड़े ,  कछुआ   टहनी  को  बीच  से  पकड़े  था  , बतखें  उड़  चलीं   और  पलक  झपकते  ही  दूर   आसमान  में  जा  पहुँची  l  नीचे  जमीन    पर  खड़े  बच्चों  ने   यह  अचरज  भरा   द्रश्य  तो  जोर -जोर  से  हँसने  लगे  l   बच्चों  को  हँसते  देख   कछुआ  क्रोध  से  भर  गया   और  पलटकर  चिल्लाने  लगा  l  मुँह  खोलते  ही  टहनी  से  उसकी  पकड़   छूट  गई  और  वह  धड़ाम  से  जमीन  पर  आ  गिरा  l  इस  कथा  से  शिक्षा  है  कि  हमें  मौन  रहने  का  अभ्यास  करना  चाहिए  l  अविवेक  के  कारण  व्यक्ति  असमय  मुंह  खोलता  है  ,  ऐसी  मूढ़ता  का  परिणाम     विनाशकारी  होता  है  l  

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