हमारे धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि व्यक्ति जैसा इस पृथ्वी पर दान करता है वैसा ही उसे मृत्यु के बाद उस लोक में प्राप्त होता है l महाभारत कालीन घटना है ---- महारथी , महादानी कर्ण प्रतिदिन स्वर्ण दान किया करते थे l युद्ध में उनकी मृत्यु होने के बाद उन्हें स्वर्ग में रहने के लिए ' स्वर्ण महल ' मिला l जहाँ प्रत्येक वस्तु सोने की थी l कर्ण इससे परेशान हो गए l भूख -प्यास तो उस लोक में भी लगती है जो स्वर्ण से तृप्त नहीं हो सकती l जब उन्होंने भगवान से इसका कारण पूछा तो पता चला कि वह प्रतिदिन सवा मन स्वर्ण दान किया करते थे , अन्य वस्तुएं , अन्न आदि का दान नहीं किया l यह जानकार कर्ण को बहुत दुःख हुआ , वे ईश्वर से विनती कर पंद्रह दिन के लिए पुन: पृथ्वी पर आए और सभी वस्तुओं का दान किया और मनुष्यों को भोजन कराया l मान्यता है कि इस कथा की स्मृति में ही पितरों के प्रति श्राद्ध मनाया जाता है l
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