आज मनुष्य ने भौतिक सुख -सुविधाएँ तो बहुत जुटा लीं लेकिन उसका सुख -चैन गायब हो गया l तनाव , मनोरोग , अनिद्रा और इनसे उत्पन्न अनेक बीमारियों से पीड़ित है l इसके अनेक कारण हैं , लेकिन एक जो बड़ा कारण है वह यह है कि समाज में प्रत्यक्ष रूप से अपराध करने वाले और नकारात्मक शक्तियों का प्रयोग कर पीठ पर वार करने वालों की संख्या बहुत अधिक बढ़ गई है l छुट -पुट अपराधी पकड़ में आते हैं लेकिन उनके पीछे जो मास्टर माइंड हैं , बड़े अपराधी हैं वे पकड़ से बाहर हैं , समाज में खुला घूमते हैं l उनके मन में हमेशा अपराध के ही विचार रहते हैं इससे वैचारिक प्रदूषण होता है l इसके साथ ही परिवार में , समाज में और बड़े स्तर पर क्षमा करने की जो विचारधारा है उससे अपराध और बढ़ते हैं l परिवार में हिंसा , उत्पीड़न इसलिए अधिक होते हैं क्योंकि परिवार के ही बड़े -बुजुर्ग कहते हैं भूल जाओ , माफ़ कर दो , अन्यथा समाज में बदनामी होगी l कहीं -कहीं वे स्वयं परिवार के किसी सदस्य को उत्पीड़ित करने में सम्मिलित होते हैं l क्षमा मिल जाएगी , यह देखकर निम्न मानसिकता के लोग और अपराध करने को प्रेरित होते हैं l पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं --- अपराधी को क्षमा कर देने से उसके संस्कार नहीं बदलते , वह उन अपराधों के लिए कोई प्रायश्चित ही नहीं करता l ' इस कथन की सत्यता को हम आज के समाज में देखते हैं l हमारे धर्म ग्रन्थ हमें सिखाते हैं कि हम में बदले की भावना नहीं होनी चाहिए l बदला लेकर तो व्यक्ति स्वयं अपराधी की श्रेणी में आ जायेगा l और इसमें खतरा भी है क्योंकि अपराधी की ताकत का अंदाजा नहीं होता l इस संबंध में सकारात्मक ढंग से संगठित प्रयास अवश्य करने चाहिए और सबसे बढ़कर ईश्वर से न्याय की प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए , ईश्वर के घर देर है , अंधेर नहीं l महाभारत में जब द्रोपदी को भरी सभा में अपमानित किया , दु:शासन ने उसके केश पकड़ कर खींचे , उसके पति , भीष्म पितामह , द्रोणाचार्य आदि सब मौन रहे , किसी ने उसकी मदद नहीं की , उसका पक्ष नहीं लिया l द्रोपदी अपना यह अपमान भूली नहीं l जब भी भगवान कृष्ण उनके सामने होते वे उनको अपने खुले केश दिखातीं , उनकी आँखों में प्रश्न होता आखिर कब दुर्योधन , दु:शासन को अपने किए की सजा मिलेगी l भगवान उन्हें सांत्वना देते --धैर्य रखो , काल का विधान है , समय का इंतजार करो l आखिर महाभारत हुई l द्रोपदी , भीम आदि सभी की प्रतिज्ञा पूरी हुई l
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