1 October 2023

WISDOM ------

   हमारे  महाकाव्य  , धर्मग्रन्थ  चाहे  जिस  भी  युग  में  लिखे  गए  हों   , उनमे  हर  व्यक्ति  के  लिए  वह  जिस  काल  में  भी  हो   शिक्षाएं  हैं  l  उन  ऋषियों  के  पास   जो  ज्ञान  था ,  जो  प्रेरणाएं  उन्हें  ईश्वर  से  प्राप्त  होती  थीं  उनमें  हर  युग  की  समस्याओं  का  समाधान  था  l  जैसे   रामायण  में  प्रसंग  है  कि  दासी  मंथरा  ने  केकैयी  के  कान  भरे  कि  राम  को  वनवास  हो  और   भरत    का  राज्याभिषेक  हो  l  केकैयी  महारानी  थीं  लेकिन   एक  एक  निम्न  मानसिकता  की  दासी  की  बातों  में  आ  गईं   और  राजा  दशरथ  से  दो  वर  मांग  लिए  l  परिणाम  हुआ  कि  राम  को  वनवास  हो  गया  , राजा  दशरथ  परलोक  सिधार  गए  , अयोध्या  में  मातम  छा  गया  l  यहाँ  महत्वपूर्ण  बात  यह  है  कि  ककैयी  ने   भरत  के  पक्ष  को  सुना  ही  नहीं ,  यह   जानने   का  प्रयास  ही  नहीं  किया  कि  उनके  मन  में  क्या  है , वे  गद्दी  चाहते  भी  हैं  या  नहीं  l बस ! अपनी  इच्छा  उन  पर  थोपनी  चाही  l  यह  स्थिति  आज  है  l   माता -पिता   समाज  में  अपने  स्टेट्स  को  बनाये  रखने  के  लिए  अपनी  इच्छा  बच्चों  पर  थोपते  हैं ,  उनकी  रूचि  का  ध्यान  नहीं  रखते  l  इस  प्रसंग  से  एक  शिक्षा  यह  भी  मिलती  है  कि    हमें  कान  का  कच्चा  नहीं  होना  चाहिए   क्योंकि  कलियुग  में  स्वार्थ , ईर्ष्या , द्वेष   इस  कदर  बढ़  गया  है  कि  लोग  दूसरों  का  हँसता -खेलता  परिवार  देख  नहीं  सकते ,  रिश्तों  का  महत्त्व  ख़त्म  हो  गया  l  पति -पत्नी  में  फूट  डालने  के  लिए ,  बच्चों  को  अपने  ही  माता -पिता  से  दूर  करने  के  लिए   निम्न  मानसिकता  के  लोग   इसी  तरह  कान  भरते  हैं , गासिप  करते  हैं   ताकि  उनका  स्वार्थ  पूरा  हो  सके  l  ऐसे  लोगों  से  दूरी  बना  लेनी  चाहिए  l  

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