कहते हैं जो कुछ महाभारत में है , वही इस पृथ्वी पर है l यदि हम थोड़ा भी ध्यान से देखें तो हमें दुर्योधन , दु:शासन , शकुनि , धृतराष्ट्र , गुरु आदि सब विभिन्न परिवारों में , संस्थाओं में और सम्पूर्ण संसार में देखने को मिल जाएंगे l सत्य यह है कि महाभारत वास्तव में सबके भीतर है , काम , क्रोध , लोभ , मोह , छल , कपट , षड्यंत्र जैसी दुष्प्रवृत्तियां मनुष्य के भीतर हैं और जब ये दुष्प्रवृत्तियां कलियुग के प्रभाव से विकराल रूप ले लेती हैं तब उसी के दुष्परिणाम घरेलू हिंसा , संस्थाओं में उत्पीड़न , सामाजिक अपराध आदि विभिन्न रूपों में दिखाई देते हैं l गीता में कहा गया है --अशांत व्यक्ति को सुख नहीं है l जिनके मन अशांत हैं वे ही सब तरफ अशांति फैलाते हैं l महाभारत से एक तथ्य यह भी स्पष्ट है कि परिवारों में होने वाली कलह , छल , कपट , षड्यंत्र ही एक महाभारत का रूप ले लेते हैं l उस युग में ये बुराइयाँ राज परिवार और सीमित क्षेत्र में थीं लेकिन अब ये जन -जन में व्याप्त हैं इसलिए संसार में इतनी अशांति और तनाव है l कहते हैं जो असुर हैं , वे अपना स्वभाव नहीं बदलते , वे अपनी दुष्प्रवृतियों के साथ बंध जाते हैं , उनसे मुक्त नहीं हो पाते l हजारों , लाखों में कोई एक होता है जो बुराई को त्यागकर , अच्छाई के मार्ग पर चले l इसलिए ऋषियों का कहना है कि ऐसे आसुरी प्रवृत्ति के लोगों से मानसिक दूरी बना लेना चाहिए l उनसे कभी कोई उम्मीद ही न रखें , उनके कैसे भी व्यवहार पर कोई प्रतिक्रिया न दें , उनकी ओर आँख उठाकर भी न देखें l अपना कर्तव्यपालन करते हुए ईश्वर विश्वास के साथ अपने पथ पर आगे बढ़ें , ईश्वर ने जो दिया है उसमें संतोष रखें और ईश्वरीय न्याय में विश्वास रखें l यही है सुख -शांति से तनाव रहित जीवन जीने का सरल तरीका l
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