प्रत्येक प्राणी का एक स्वभाव होता है , वह नहीं बदलता जैसे बिच्छू का स्वभाव है डंक मारना , वह हर हाल में डंक मारेगा l गिरगिट रंग बदलता है l मनुष्य को भगवान ने बुद्धि दी है , वह चाहे तो संकल्प लेकर , सतत प्रयास कर के अपनी दूषित प्रवृत्तियों को त्याग कर सन्मार्ग पर चल सकता है लेकिन कामना , वासना , तृष्णा , महत्वाकांक्षा , ईर्ष्या , द्वेष , स्वार्थ , लालच आदि उसके भीतर इतनी गहरी जड़ जमाए हुए हैं कि वह स्वयं को इन दुष्प्रवृत्तियों से अलग कर ही नहीं सकता , उसे इन दुष्प्रवृत्तियों की दुर्गन्ध के बीच रहना ही अच्छा लगता है l एक कथा है ----रास्ते में चलते -चलते रात हो जाने से एक मछली वाली ने एक मालिन के घर का आश्रय लिया l मालिन ने उसे पुष्प गृह के बरामदे में ठहराया और यथायोग्य उसकी सेवा की परन्तु मछली वाली को रात में किसी तरह नींद ही नहीं आ रही थी l अंत में वह समझ गई कि पुष्प गृह में रखे हुए नाना प्रकार के खिले हुए फूलों की महक के कारण ही उसे नींद नहीं आ रही है l तब उसने मछलियों की टोकरी में जल छिड़ककर अपने सिराहने रख लिया और फिर सुख से सो गई l अज्ञानी और दूषित संस्कारों में जकड़ा हुआ व्यक्ति इस मछली वाली की भांति है , इस दुर्गन्ध को छोड़कर उसे कुछ अच्छा नहीं लगता l l
No comments:
Post a Comment