लघु -कथा ----- नदी किनारे चार सहेलियां रहती थीं --- छिपकली , चुहिया , लोमड़ी और बकरी l चारों साथ -साथ रहतीं और आपस में हँसती -हँसाती l एक दिन उनका मन नदी के पार जाने और सैर करने का हुआ l कछुआ भी वहीँ रहता था l चारों ने कछुए से कहा ----" हम सच्ची सहेलियां हैं l तुम हम चारों को पीठ पर बैठाकर नदी पार करा दो तो बड़ी कृपा होगी l कछुए ने पहले तो आनाकानी की फिर उनका सच्ची सहेलियां होने की बात सुनकर वह राजी हो गया l उसने कहा --- " तुम चारों मेरी पीठ पर बैठ जाओ , नदी पार करा दूंगा l " वे चारों बैठ गईं और कछुआ चल पड़ा l कुछ दूर चलने पर उसने कहा --- " वजन तो बहुत हो गया है , तुम में से एक को उतरना होगा l मुझसे ढोया नहीं जा रहा l " चुहिया ने छिपकली को पानी में धकेल दिया l कुछ दूर चलने पर एक और के उतरने की बात कही गई तो लोमड़ी ने चुहिया को पानी में धक्का दे दिया l कुछ दूर और चलने पर एक और के उतरने की बात हुई तो बकरी ने लोमड़ी को बीच धार में धकेल दिया l अकेली बकरी शेष रह गई l कछुए ने कहा --- " तुम चारों सच्ची सहेलियां बनती थीं l तब साथ ही सबको पार होना था l जब सबल द्वारा निर्बल को धकेले जाने का सिलसिला चल रहा है तो तुम्हारी मित्रता झूठी हुई l मैंने तो सच्ची सहेलियों को पार करने का वायदा किया था l " यह कहकर कछुए ने गहरी डुबकी लगाईं और बकरी को भी पानी में डुबो दिया l
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