वर्तमान समय में इतने साधु , संत , समाज सुधारक , कथा , प्रवचन , सत्संग इतना अधिक है लेकिन फिर भी सुधार का प्रतिशत लगभग शून्य है l लोग एक कान से सुनते हैं और दूसरे कान से निकाल देते हैं , याद भी रखते हैं तो कही सुनाने के लिए , अपनी छाप छोड़ने के लिए l कमी दोनों तरफ ही है l आचार्य श्री कहते हैं ---- ' एक नशेड़ी अपने जीवन में सैकड़ों नशा करने वालों को अपने साथ जोड़ लेता है l ऐसा इसलिए संभव होता है क्योंकि वह स्वयं नशा करता है , फिर दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है , वह जो कहता है , वैसा ही करता भी है l उसकी वाणी और उसका आचरण में एकरूपता होने से उसकी नशे के लिए प्रेरित करने वाली बात में बल आ जाता है l लेकिन सन्मार्ग पर चलने का , सत्य बोलने का , किसी का हक न छीनो , किसी को न सताओ ----ऐसा उपदेश देने वाले बहुत हैं लेकिन उनकी वाणी और व्यवहार में एकरूपता न होने से समाज में सुधार नहीं होता है l ' संसार में अच्छे लोग भी बहुत हैं , जो अपने आचरण से शिक्षा देते हैं लेकिन इतने विशाल संसार में उनकी संख्या बहुत कम है l प्रवचन सुनने भी जो आते हैं , वे उसे टाइम पास और मनोरंजन समझते हैं l एक कथा है ----- एक संत प्रव्रज्या पर निकले और चतुर्मास के दिनों में एक गाँव में ठहर गए l वहां वे नित्य प्रति व्याख्यान देते और उन्हें सुनने के लिए अनेकों गांववासी एकत्रित होते थे l एक भक्त ऐसा था , जो नित्य प्रति उनकी सभा में उपस्थित होता और प्रवचन भी सुनता था l एक दिन उसने संत से कहा --- " महाराज ! मैं नित्य आपका प्रवचन सुनता हूँ , फिर भी बदल क्यों नहीं पाता हूँ ? " संत ने उससे पूछा --- " वत्स ! तुम्हारा घर यहाँ से कितनी दूर है ? " उस व्यक्ति ने कहा --- " करीब दस कोस दूर l " संत ने फिर प्रश्न किया --- " तुम वहां कैसे जाते हो ? " उस व्यक्ति ने उत्तर दिया --- " महाराज ! पैदल जाता हूँ l " संत ने पूछा --- " क्या ऐसा संभव है कि तुम बिना चले , यहाँ बैठे -बैठे अपने गाँव पहुँच जाओ l " वह व्यक्ति बोला --- " महाराज ! ऐसा कैसे संभव है l यदि घर जाना है तो उतनी यात्रा तो करनी ही पड़ेगी l " संत बोले ---- " पुत्र ! यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है l तुम्हे घर का पता , वहां जाने का मार्ग सब मालूम है लेकिन जब तक तुम उस मार्ग पर चलोगे नहीं , तब तक घर जाना संभव नहीं होगा l इसी प्रकार तुम्हारे पास ज्ञान है , इसे जीवन में उतारे बिना तुम अच्छे इन्सान नहीं बन सकते l यदि तुम्हे स्वयं के भीतर परिवर्तन का अनुभव करना है तो उसके लिए सीखी गई बातों को जीवन में उतारने का प्रयत्न करना होगा l
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