5 March 2024

WISDOM ----

  एक  बार  लक्ष्मी जी  भगवान  विष्णु  जी  से  कहने  लगीं  ---- " प्रभो  !  आप  रूप -गुण  से  परे  हैं  ,  फिर  भी  संसार  के  हित  के  लिए   आप  देह  धारण  कर  के  अवतार  लेते  हैं  l  क्या  कारण  है  कि  अवतार  लेने  के  लिए   आप  बार -बार  मनुष्य  शरीर  मनुष्य  शरीर  ही  चुनते  हैं  ? "   भगवान  ने  उत्तर  दिया ---- "  देवी  !  मनुष्य  शरीर  के  साथ  जो  विभूतियाँ  जुड़ी  हैं   उनके  माध्यम  से  मेरा  कार्य  सुगमता  से  पूरा  हो  जाता  है   इसलिए  मैं  मनुष्य  शरीर  में  ही  बार -बार  अवतरित  होता  हूँ  l "                                                                                                    भगवान  के  इस  कथन  से  मनुष्य  शरीर  की  महत्ता  का  बोध  होता  है  l  चौरासी  लाख योनियों  में  से  मनुष्य  -शरीर  ही  ऐसा  है   जिसके  पास  यह  सुविधा  है  कि   यदि  वह  चाहे  तो  संकल्प  और  साधना  से   अपने  विचार  और  बुद्धि  को  परिष्कृत  कर  चेतना  के  उच्च से  उच्चतर  स्तर  तक  पहुँच  सकता  है  l  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  --- "  ज्ञान  और  विवेक  होने   पर  ही  चेतना  का  परिष्कार  संभव  है  l    ज्ञान  के  अभाव  में    अज्ञानी  व्यक्ति  अहंकारी   हो  जाता  है , शोक , मोह , हिंसा , कामना , तृष्णा  आदि  दुर्गुणों  के  वशीभूत  हो  जाता  है   और  संसार  -चक्र  में   भटकता  हुआ   सुख -दुःख  भोगता  है  l --------- एक  राजा  था   चित्रकेतु  l  अपनी  तपस्या  के  प्रभाव  से  उसे  एक  सिद्धि  मिल  गई    जिसके  प्रभाव   से   वह  विमान  में  बैठकर   तीनों  लोकों  में  विचरण  करता  रहता  था  l  उसे  अपनी  तपस्या  और   ज्ञान  का  बड़ा  घमंड  था  l  एक  दिन  महर्षियों  की  सभा  में   पार्वती जी  को  शिवजी  के  साथ  बैठी  देखकर   उसने  अहंकार  वश   शिव  की  निंदा  की  l  इसका  परिणाम  यह  हुआ   कि  पार्वती  जी  के  श्राप  के  कारण  उसे  वृत्तासुर  राक्षस  बनना  पड़ा  l  --- इस  कथा  से  पता  चलता  है  कि   देव  पद  पा  लेने  के  बाद  भी   यदि  अज्ञान  से  पिंड  नहीं  छूटा  तो  हमें  पतन  के  गर्त  में  गिरना  पड़ेगा  l  आचार्य श्री  लिखते  हैं  --- मनुष्य  को  उसके  गौरव  से  गिराने    वाले   शत्रु --- काम , क्रोध  लोभ  आदि  हैं  l  ईश्वर  ने  मनुष्य  को  समर्थ  साधन  देकर  भेजा  है  , वह  विवेक  और  ज्ञान  की  तलवार  से  इन  सब  शत्रुओं  को   परास्त    कर  सकता  है  l  

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