12 April 2024

WISDOM ------

  पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- ' ज्ञान  प्रकाश  है  , जबकि  अज्ञान  अँधियारा  है  l  जीवन  में  सफलतापूर्वक  चलने  के  लिए   ज्ञान  के  प्रकाश  की  जरुरत  होती  है  l  ज्ञान  स्वयं  की  आँखें  हैं  ,  इसे  स्वयं  ही  पाना  होता  है  l  स्वयं  का  ज्ञान  ही  असहाय  मनुष्य  का  एकमात्र  सहारा  है  l  "------ सूफियों  में  बाबा  फरीद   का  कथा -प्रसंग  है  ---- बाबा  फरीद  ने  अपने  शिष्यों  से  कहा ---" ज्ञान  को  उपलब्ध  करो  l  इसके  अतिरिक्त  कोई  दूसरा  मार्ग  नहीं  है  l "  यह  सुनने  पर  शिष्य  नम्र  भाव  से  बोला  ---- " बाबा  !  रोगी  तो  हमेशा  वैद्य  के  पास  ही  जाता  है  , स्वयं  चिकित्साशास्त्र  का  ज्ञान  अर्जित  करने  के   फेर  में  नहीं  पड़ता  l  आप  मेरे  मार्गदर्शक  हैं  , गुरु  हैं  l  यह  मैं   जानता  हूँ  कि  आप  मेरा  उद्धार  करेंगे   l  तब  फिर  स्वयं  के  ज्ञान  की  क्या  आवश्यकता   है  l "   यह  सुनकर  बाबा  फरीद  ने  एक  कथा  सुनाई  -----  एक  गाँव  में  एक  वृद्ध  रहता  था   l  मोतियाबिंद  के  कारण  अँधा  हो  गया   तो  उसके  बेटों   ने   उसकी  आँखों  की  चिकित्सा  करानी  चाही   l    वृद्ध  ने  अस्वीकार  कर  दिया   और  कहने  लगा --- " भला  मुझे  आँखों  की  क्या  जरुरत  l  तुम  आठ  मेरे  पुत्र  हो , आठ  बहुएं  हैं , तुम्हारी  माँ  है   l  ये  चौतींस  आँखें  तो  मुझे  मिली  हैं  l  मेरी  दो  नहीं  तो  क्या  हुआ  ? "   पिता  ने  पुत्र  की  बात  नहीं  मानी   l   कुछ  दिनों  के  बाद  अचानक  एक  रात  घर  में  आग  लग  गई  l  सभी  अपनी  जान   बचाने  के  लिए  भागे  ,  वृद्ध  की  याद  किसी  को  न  रही  l  वह  उस  आग  में  जलकर  भस्म  हो  गया  l   वृद्ध  की  स्वयं  की  आँखें  होतीं  तो  वह  भी  भाग  कर  अपनी  जान  बचा  लेता  l 

No comments:

Post a Comment