पुरुषार्थी की कठिनाइयाँ उसके लिए वरदान हैं ।विषमता एवं प्रतिकूलता में जीवन की सारी ऊर्जा एकत्रित होकर उससे निकलने के लिए तत्पर हो उठती है ।मन एवं बुद्धि इससे उबरने के लिए तकनीकें खोजते हैं ।प्रयास की इस प्रक्रिया में विषमता वरदान सिद्ध होती है ।यह अभिशाप उनके लिए है जो दुःख में रोते हैं और दुःख के कारणों को दूसरों पर आरोपित करते हैं ।कठिनाइयाँ एवं चुनौतियां हमें सुद्रढ़ ,मजबूत एवं फौलाद बनाने आती हैं ।यदि हमारा द्रष्टिकोण सकारात्मक {POSITIVE}है तो विपत्ति का प्रत्येक धक्का हमें साहसी ,बुद्धिमान अनुभवी और आत्मविश्वासी बनाता है ।
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