'सच्चे गुरु के लिये सैंकड़ों जन्म समर्पित किये जा सकते हैं ,सच्चा गुरु वहां पहुंचा देता है जहां शिष्य अपने पुरुषार्थ से कभी नहीं पहुंच सकता है '
आंतरिक चेतना के परिमार्जन एवं उसके विकास के लिये जिस दवा की आवश्यकता होती है, वह अत्यंत दुर्लभ एवं विरल होती है , सामर्थ्यवान गुरु ही ऐसी दवा देने की क्षमता रखता है
"तुम्हारे लक्ष्य के पास पहुंचने तक बीच-बीच में असंख्य बाधाएं पैदा होंगी, पर न तुम घबराना और न ही हिम्मत हारकर कभी अपने प्रयत्न छोड़ना ,परिस्थितियों के उतार-चढ़ाव को तुम एक निरीक्षक की द्रष्टि से देखोगे तो तुम्हारी बुद्धि यह निर्णय देती रहेगी कि अब तुम्हे क्या करना चाहिये ? घटनाओं से प्रभावित हो जाओगे तो तुम्हारी संग्राम की शक्ति कमजोर हो सकती है और तुम्हारा आत्मबल गिर सकता है , इसलिये असफलताओं और अप्रिय घटनाओं को एक कर्मयोगी की द्रष्टि से देखना चाहिये , मुझे विश्वास है कि तब विजय भी तुम्ही को मिलेगी , समय चाहे कितना भी भयंकर क्यों न हो "
आंतरिक चेतना के परिमार्जन एवं उसके विकास के लिये जिस दवा की आवश्यकता होती है, वह अत्यंत दुर्लभ एवं विरल होती है , सामर्थ्यवान गुरु ही ऐसी दवा देने की क्षमता रखता है
"तुम्हारे लक्ष्य के पास पहुंचने तक बीच-बीच में असंख्य बाधाएं पैदा होंगी, पर न तुम घबराना और न ही हिम्मत हारकर कभी अपने प्रयत्न छोड़ना ,परिस्थितियों के उतार-चढ़ाव को तुम एक निरीक्षक की द्रष्टि से देखोगे तो तुम्हारी बुद्धि यह निर्णय देती रहेगी कि अब तुम्हे क्या करना चाहिये ? घटनाओं से प्रभावित हो जाओगे तो तुम्हारी संग्राम की शक्ति कमजोर हो सकती है और तुम्हारा आत्मबल गिर सकता है , इसलिये असफलताओं और अप्रिय घटनाओं को एक कर्मयोगी की द्रष्टि से देखना चाहिये , मुझे विश्वास है कि तब विजय भी तुम्ही को मिलेगी , समय चाहे कितना भी भयंकर क्यों न हो "
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