ब्रिटिश सेनापति नेल्सन अपूर्व आत्मविश्वास के धनी थे । नील नदी के पार खड़े वे अपनी सेना की रणनीति का निर्धारण कर रहे थे । ब्रिटिश जंगी बेड़े में आशंका और निराशा का वातावरण था , लेकिन नेल्सन की आँखों में आत्मविश्वास की चमक थी । अचानक कप्तान बोल उठा --" अगर हमारी जीत हो गई तो सारे ब्रिटेन में ख़ुशी का संचार हो जायेगा , दुनिया दंग रह जायेगी । "
नेल्सन ने तीखी नजर से कप्तान को देखकर कहा - " ' अगर ' से तुम्हारा क्या तात्पर्य है ? "
कप्तान सकपकाकर बोला - " मेरा मतलब है कि दुश्मन हमसे कहीं अधिक ताकतवर है । उसके पास अधिक सेना है । हमारी जीत भाग्य पर निर्भर है । "
तब नेल्सन बोले - " कैप्टन ! हमारी जीत का भाग्य से कोई संबंध नहीं । हम जीतेंगे और अवश्य जीतेंगे । भाग्य के सहारे नहीं बल्कि अपनी बहादुरी , साहस व निष्ठा के बल पर जीतेंगे । "
प्रत्येक सैनिक प्रबल आत्मविश्वास से भरकर लड़ा एवं अल्प बल वाला वह दल विजयी रहा ।
नेल्सन ने तीखी नजर से कप्तान को देखकर कहा - " ' अगर ' से तुम्हारा क्या तात्पर्य है ? "
कप्तान सकपकाकर बोला - " मेरा मतलब है कि दुश्मन हमसे कहीं अधिक ताकतवर है । उसके पास अधिक सेना है । हमारी जीत भाग्य पर निर्भर है । "
तब नेल्सन बोले - " कैप्टन ! हमारी जीत का भाग्य से कोई संबंध नहीं । हम जीतेंगे और अवश्य जीतेंगे । भाग्य के सहारे नहीं बल्कि अपनी बहादुरी , साहस व निष्ठा के बल पर जीतेंगे । "
प्रत्येक सैनिक प्रबल आत्मविश्वास से भरकर लड़ा एवं अल्प बल वाला वह दल विजयी रहा ।
No comments:
Post a Comment