'सुख - वैभव , ऐश्वर्य और कीर्ति सब लोग चाहते हैं , परन्तु तन -मन से परिश्रम किये बिना स्थायी रूप से , इनमे से एक वस्तु भी प्राप्त नहीं हो सकती । आलस्य सुख का शत्रु है और उद्दम आनंद का सहचर है , जो इस तथ्य को भली -भांति समझता है , वह भाग्यवान है , वही बुद्धिमान है , वही चतुर है । '
एक मजदूर से राष्ट्राध्यक्ष बनने की यात्रा वाला जीवन रहा है - गारफील्ड का । अमेरिका के बीसवें राष्ट्रपति गारफील्ड ने अपना जीवन एक साधारण मजदूर के रूप में आरंभ किया । रह - रहकर उनके मन में सवाल उभरता --भाग्य बड़ा है या पुरुषार्थ ? पर वे पुरुषार्थ पर टिके रहे ।
उन्होंने कुछ दिन नाटक कम्पनी में कार्य किया , कभी नाव चलाई , कभी चौकदारी की , कुछ दिन शिक्षक रहे , फिर सेना में कप्तान बने । सेना से लौटकर लोकसेवा के क्षेत्र में आये । उनकी पुरुषार्थ परायणता , व्यवहार कुशलता से प्रभावित होकर सभी ने एक मत हो उन्हें राष्ट्रपति बनाया । सेना के दिनों में उनने एक पत्र लिखा था , जिसे उनका मित्र हमेशा सबको दिखाता था --" पुरुषार्थ तो बरगद का बीज है । देखने में छोटा लगता है , देर से अंकुरित होता है । मेरे पुरुषार्थ ने अंकुर देना आरंभ कर दिया है । विकसित होने पर वह पूरे अमेरिका को छाया देगा । "
पुरुषार्थ --आत्मावलंबन एक कल्पवृक्ष है ।
एक मजदूर से राष्ट्राध्यक्ष बनने की यात्रा वाला जीवन रहा है - गारफील्ड का । अमेरिका के बीसवें राष्ट्रपति गारफील्ड ने अपना जीवन एक साधारण मजदूर के रूप में आरंभ किया । रह - रहकर उनके मन में सवाल उभरता --भाग्य बड़ा है या पुरुषार्थ ? पर वे पुरुषार्थ पर टिके रहे ।
उन्होंने कुछ दिन नाटक कम्पनी में कार्य किया , कभी नाव चलाई , कभी चौकदारी की , कुछ दिन शिक्षक रहे , फिर सेना में कप्तान बने । सेना से लौटकर लोकसेवा के क्षेत्र में आये । उनकी पुरुषार्थ परायणता , व्यवहार कुशलता से प्रभावित होकर सभी ने एक मत हो उन्हें राष्ट्रपति बनाया । सेना के दिनों में उनने एक पत्र लिखा था , जिसे उनका मित्र हमेशा सबको दिखाता था --" पुरुषार्थ तो बरगद का बीज है । देखने में छोटा लगता है , देर से अंकुरित होता है । मेरे पुरुषार्थ ने अंकुर देना आरंभ कर दिया है । विकसित होने पर वह पूरे अमेरिका को छाया देगा । "
पुरुषार्थ --आत्मावलंबन एक कल्पवृक्ष है ।
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