' जो ईश्वरीय आज्ञा को सुनते हैं और उनके अनुसार अपना जीवन यापन करते हैं , उनका जीवन धन्य है | '
पैगम्बर जरथुस्त्र ने जिस समय जन्म लिया था , उनका देश अजर-बेजान अंधविश्वासों ,अधर्म और पापाचार में बुरी तरह डूबा था | आडम्बरी जादूगर सारे समाज पर छाये हुए थे | वे मंत्र तंत्र के नाम पर जनता को भयभीत करते और अपनी जेब भरते थे | लोग वास्तविक अध्यात्म और ईश्वरतत्व को भूल चुके थे | जरथुस्त्र ने राजा के पुत्र होने के बावजूद राज्य वैभव को ठुकराया , साधु वेश धारण कर महात्मा तूर के चरणों में बैठकर सत्य सीखा और फिर अंधकार में डूबी जनता को प्रकाश दिया | सर्वशक्तिमान एक ईश्वर की उपासना का उपदेश दिया और सदधर्म का पथ दिखाया |
अनेक कष्ट सहन किये , पर सारे राष्ट्र को सही राह पर ले आये | आसपास के सभी राष्ट्रों को भी उनने प्रभावित किया | महात्मा जरथुस्त्र 77 वर्ष की आयु में राजकोप के कारण मृत्युदंड पाकर परम तत्व को पा गये |
नास्तिकता और अंधविश्वास के भँवर में फँसी जनता को ईश्वर की उपासना करने के लिये प्रेरित करने एवं समाज को प्रगतिशील आचार-संहिता देने वाला यह महामानव उन्ही जीवन मूल्यों के लिये बलिदान हो गया | उनके द्वारा स्थापित आदर्श इतने शाश्वत हैं कि आज भी लाखों -करोड़ों लोग उनमे आस्था रखते हैं | संसार में विवेकशीलता के विस्तार हेतु उन्हें सदैव याद किया जाता रहेगा |
पैगम्बर जरथुस्त्र ने जिस समय जन्म लिया था , उनका देश अजर-बेजान अंधविश्वासों ,अधर्म और पापाचार में बुरी तरह डूबा था | आडम्बरी जादूगर सारे समाज पर छाये हुए थे | वे मंत्र तंत्र के नाम पर जनता को भयभीत करते और अपनी जेब भरते थे | लोग वास्तविक अध्यात्म और ईश्वरतत्व को भूल चुके थे | जरथुस्त्र ने राजा के पुत्र होने के बावजूद राज्य वैभव को ठुकराया , साधु वेश धारण कर महात्मा तूर के चरणों में बैठकर सत्य सीखा और फिर अंधकार में डूबी जनता को प्रकाश दिया | सर्वशक्तिमान एक ईश्वर की उपासना का उपदेश दिया और सदधर्म का पथ दिखाया |
अनेक कष्ट सहन किये , पर सारे राष्ट्र को सही राह पर ले आये | आसपास के सभी राष्ट्रों को भी उनने प्रभावित किया | महात्मा जरथुस्त्र 77 वर्ष की आयु में राजकोप के कारण मृत्युदंड पाकर परम तत्व को पा गये |
नास्तिकता और अंधविश्वास के भँवर में फँसी जनता को ईश्वर की उपासना करने के लिये प्रेरित करने एवं समाज को प्रगतिशील आचार-संहिता देने वाला यह महामानव उन्ही जीवन मूल्यों के लिये बलिदान हो गया | उनके द्वारा स्थापित आदर्श इतने शाश्वत हैं कि आज भी लाखों -करोड़ों लोग उनमे आस्था रखते हैं | संसार में विवेकशीलता के विस्तार हेतु उन्हें सदैव याद किया जाता रहेगा |
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