धर्म का सार है --संवेदना और अध्यात्म का सार है --व्यक्तित्व का परिष्कार
आध्यात्मिक जीवन के लिये कर्मकांड उतने महत्वपूर्ण नहीं ,जितना कि महत्वपूर्ण है-संवेदना का परिष्कार | जिनकी संवेदना परिष्कृत होती है , वे सुख भोगने में नहीं , औरों को सुख पहुँचाने में विश्वास करते हैं | ऐसे व्यक्ति अपने दु:खों का रोना नहीं रोते , बल्कि दूसरों के दु:खों को दूर करने का महापराक्रम करते हैं |
आध्यात्मिक जीवन के लिये कर्मकांड उतने महत्वपूर्ण नहीं ,जितना कि महत्वपूर्ण है-संवेदना का परिष्कार | जिनकी संवेदना परिष्कृत होती है , वे सुख भोगने में नहीं , औरों को सुख पहुँचाने में विश्वास करते हैं | ऐसे व्यक्ति अपने दु:खों का रोना नहीं रोते , बल्कि दूसरों के दु:खों को दूर करने का महापराक्रम करते हैं |
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