' वेद मंत्रों में दैवीय शक्तियां विद्दमान हैं | इनमे वह वैज्ञानिक प्रक्रिया सन्निहित है , जिसके उच्चारण मात्र से मनुष्य के शरीर और मन में विशेष प्रकार के स्पंदन होते हैं और उनसे अभीष्ट लाभ होने का पथ प्रशस्त होने लगता है | '
गायत्री महामंत्र में परमेश्वर का सत्य , प्रकृति के तत्व एवं उनके संयोग से होने वाली स्रष्टि संरचना का संपूर्ण विज्ञान सूत्र रूप में गुंथा हुआ है |इस अद्भुत महामंत्र में न केवल स्रष्टिविज्ञान , ब्रह्मांडविज्ञान है , बल्कि आत्म विज्ञान , साधना विज्ञान भी है |
गायत्री मंत्र के जप से चेतना निर्मल होती है , लेकिन जिस प्रकार अकेला बीज बोना सार्थक नहीं हो सकता , फसल प्राप्त करने के लिये बीज , भूमि , खाद-पानी , इन तीन चीजों की जरुरत होती है , उसी प्रकार गायत्री मंत्र की सफलता के लिये मंत्र जप के साथ तीन बातों को सम्मिलित करना अनिवार्य है ---1. उच्चस्तरीय द्रष्टिकोण 2 . अटूट श्रद्धा-विश्वास 3 . परिष्कृत व्यक्तित्व
ऋतंभरा प्रज्ञा का ही नाम गायत्री है | गायत्री की कृपा और अनुग्रह हमें केवल माला घुमाने से नहीं मिल सकता , यह कृपा तो उसी को मिलेगी जो इन तीन बातों को समन्वित कर उपासना करेगा |
गायत्री महामंत्र में परमेश्वर का सत्य , प्रकृति के तत्व एवं उनके संयोग से होने वाली स्रष्टि संरचना का संपूर्ण विज्ञान सूत्र रूप में गुंथा हुआ है |इस अद्भुत महामंत्र में न केवल स्रष्टिविज्ञान , ब्रह्मांडविज्ञान है , बल्कि आत्म विज्ञान , साधना विज्ञान भी है |
गायत्री मंत्र के जप से चेतना निर्मल होती है , लेकिन जिस प्रकार अकेला बीज बोना सार्थक नहीं हो सकता , फसल प्राप्त करने के लिये बीज , भूमि , खाद-पानी , इन तीन चीजों की जरुरत होती है , उसी प्रकार गायत्री मंत्र की सफलता के लिये मंत्र जप के साथ तीन बातों को सम्मिलित करना अनिवार्य है ---1. उच्चस्तरीय द्रष्टिकोण 2 . अटूट श्रद्धा-विश्वास 3 . परिष्कृत व्यक्तित्व
ऋतंभरा प्रज्ञा का ही नाम गायत्री है | गायत्री की कृपा और अनुग्रह हमें केवल माला घुमाने से नहीं मिल सकता , यह कृपा तो उसी को मिलेगी जो इन तीन बातों को समन्वित कर उपासना करेगा |
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