वैज्ञानिक जीवनद्रष्टि में पूर्वाग्रहों , भ्रामक मान्यताओं एवं परंपराओं की तुलना में विवेक को महत्व मिलता है | आध्यात्मिक जीवनमूल्य का अर्थ है --परिष्कृत संवेदना | इन दोनों के समन्वय से ही जीवन सार्थक एवं संपूर्ण बनता है |
स्वाधीनता के बाद गठित परमाणु उर्जा आयोग के पहले अध्यक्ष डॉ . होमी जहाँगीर भाभा ने वैज्ञानिकों के समूह को संबोधित करते हुए कहा था-- " विज्ञान-जगत के लिये आवश्यक है कर्मशील अध्यात्म | बीते युगों के अध्यात्म ने संसार को छोड़ने की बात की और कुछ कर्मकांडों तक सिमटा रहा , लेकिन आज के युग में विज्ञान एवं वैज्ञानिकों के लिये ऐसा अध्यात्म आवश्यक है , जिसमे वैज्ञानिक कर्मों का अविराम पराक्रम हो , साथ ही आध्यात्मिकता की पावन संवेदना हो जो विज्ञान को , वैज्ञानिकों के जीवन को सभी कालिख और क्रूरताओं से मुक्त रखे | "
डॉ भाभा वैज्ञानिक विशिष्टताओं के साथ संगीत के मर्मज्ञ कलाकार थे | इसी के साथ उनमे गहन आध्यात्मिक अभिरूचि थी | उनके पुस्तकालय में जितनी विज्ञान की पुस्तकें थीं , उतनी ही अध्यात्म की पुस्तकें भी थीं | वे नियमित ध्यान करते थे | उनकी जीवनशैली ने उन्हें संपूर्ण नि:स्पृह योगी बना दिया था | वे अपने सहयोगियों को सीख देते थे कि वैज्ञानिको को नियमित ध्यान करना चाहिये | इससे मेधाशक्ति विकसित होती है ; अंतर्प्रज्ञा विकसित होती है | अनुसंधान कार्य के लिये जिस प्रखर प्रतिभा , असामान्य बौद्धिक ऊर्जा एवं सर्वथा मौलिक सोच की आवश्यकता है , वह ध्यान के द्वार से सरलता से प्रवेश करती है |
परमाणु शक्ति के शांतिपूर्ण उपयोग करने की कल्पना करने वालों में वे विश्व में प्रथम अग्रणी वैज्ञानिक थे |
स्वाधीनता के बाद गठित परमाणु उर्जा आयोग के पहले अध्यक्ष डॉ . होमी जहाँगीर भाभा ने वैज्ञानिकों के समूह को संबोधित करते हुए कहा था-- " विज्ञान-जगत के लिये आवश्यक है कर्मशील अध्यात्म | बीते युगों के अध्यात्म ने संसार को छोड़ने की बात की और कुछ कर्मकांडों तक सिमटा रहा , लेकिन आज के युग में विज्ञान एवं वैज्ञानिकों के लिये ऐसा अध्यात्म आवश्यक है , जिसमे वैज्ञानिक कर्मों का अविराम पराक्रम हो , साथ ही आध्यात्मिकता की पावन संवेदना हो जो विज्ञान को , वैज्ञानिकों के जीवन को सभी कालिख और क्रूरताओं से मुक्त रखे | "
डॉ भाभा वैज्ञानिक विशिष्टताओं के साथ संगीत के मर्मज्ञ कलाकार थे | इसी के साथ उनमे गहन आध्यात्मिक अभिरूचि थी | उनके पुस्तकालय में जितनी विज्ञान की पुस्तकें थीं , उतनी ही अध्यात्म की पुस्तकें भी थीं | वे नियमित ध्यान करते थे | उनकी जीवनशैली ने उन्हें संपूर्ण नि:स्पृह योगी बना दिया था | वे अपने सहयोगियों को सीख देते थे कि वैज्ञानिको को नियमित ध्यान करना चाहिये | इससे मेधाशक्ति विकसित होती है ; अंतर्प्रज्ञा विकसित होती है | अनुसंधान कार्य के लिये जिस प्रखर प्रतिभा , असामान्य बौद्धिक ऊर्जा एवं सर्वथा मौलिक सोच की आवश्यकता है , वह ध्यान के द्वार से सरलता से प्रवेश करती है |
परमाणु शक्ति के शांतिपूर्ण उपयोग करने की कल्पना करने वालों में वे विश्व में प्रथम अग्रणी वैज्ञानिक थे |
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