महान वैज्ञानिक प्रफुल्लचंद्र राय विज्ञानवेता होते हुए भी गहरे आध्यात्मिक साधक थे | उनके घर का वातावरण भी आध्यात्मिक था | सादगी , स्वच्छता , संवेदना के साथ नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य घर के वातावरण में घुला था | वह अपने छात्रों से बहुत प्यार करते थे , छात्र भी उन्हें बहुत प्यार करते थे | एक दिन उनके एक विदेशी शोध छात्र ने उनसे पूछा -- " सर ! आप वैज्ञानिक होते हुए भी देर तक आध्यात्मिक साधना करते हैं , इसका क्या कारण है ? "
उत्तर में प्रफुल्लचंद्र राय ने कहा --" इसके कारण में वैज्ञानिकता है | आध्यात्मिक साधना से मन: स्थिति में एवं आध्यात्मिक वातावरण से परिस्थिति में सृजनशीलता अंकुरित होती है | अंदर-बाहर सृजनशीलता हो तो सोचने-समझने के लिये , नये विचारों के लिये द्वार खुलते हैं | इन द्वारों से ज्ञान का प्रकाश फैलता है | तब कठिन अनुसंधान-कार्य भी आसान हो जाते हैं | इस लिये वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये भी आध्यात्मिक साधनाओं का वातावरण चाहिए | "
उत्तर में प्रफुल्लचंद्र राय ने कहा --" इसके कारण में वैज्ञानिकता है | आध्यात्मिक साधना से मन: स्थिति में एवं आध्यात्मिक वातावरण से परिस्थिति में सृजनशीलता अंकुरित होती है | अंदर-बाहर सृजनशीलता हो तो सोचने-समझने के लिये , नये विचारों के लिये द्वार खुलते हैं | इन द्वारों से ज्ञान का प्रकाश फैलता है | तब कठिन अनुसंधान-कार्य भी आसान हो जाते हैं | इस लिये वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये भी आध्यात्मिक साधनाओं का वातावरण चाहिए | "
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