प्लेटो अपने समय की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति से बहुत दुखी व असंतुष्ट थे | जब किसी ने उनके दुःख और असंतोष का कारण पूछा तो उन्होंने कहा -- " महात्मा सुकरात जैसे महान संत और विचारक की हत्या करने वाले समाज में रहना , उसी शासन-सत्ता की अधीनता स्वीकार करते हुए जीना क्या कम दु:खद है ? " प्रश्नकर्ता ने फिर पूछा --" क्या इसका कोई समाधान नहीं है ? " तब उन्होंने उत्तर दिया --" समाधान तो है , लेकिन इसके लिये धार्मिक रीतियों , मान्यताओं एवं रिवाजों को वैज्ञानिक विवेक से परखना होगा | एक ऐसी विचार-प्रणाली का , एक ऐसे दर्शन का प्रवर्तन करना होगा , जिसमे धर्म एवं विज्ञान , दोनों का समन्वय हो | जब किसी युग में ऐसा होगा , तब कभी किसी सुकरात को विषपान न करना पड़ेगा | "
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