'A simple life is its own reward .'
मूसा जंगल से जा रहे थे | एक गड़रिया मिला, वह घुटनों के बल झुककर प्रार्थना कर रहा था--" हेखुदा ! अगर तेरा दीदार हो जाये तो तेरी खूब सेवा करूँगा, तेरे शरीर की खूब मालिश करके तुझे नहलाऊँगा | तेरे पाँव दबाऊंगा और तुझे बिस्तर पर सुलाऊँगा | तू बीमार पड़ेगा तो तेरी दवा करूँगा | मैं जिंदगी भर तेरा अच्छा गुलाम बनकर रहूँगा | " हजरत मूसा ने यह सब सुना तो उन्हें बुरा लगा | डांटते हुए बोले --" मूर्ख ! तू किससे यह बात कर रहा था ? " वह बोला--" खुदा से कर रहा था | "
मूसा बोले --" तू बड़ा अज्ञानी है | अरे !खुदा कहीं बीमार पड़ता है | वह तो अजन्मा है, वह तो कण-कण में व्याप्त है, उसका कोई शरीर नहीं होता | "
गड़रिया चुप रहा, उसने गलती की क्षमा मांग ली | रात में जब मूसा प्रार्थना करने बैठे तो आवाज आई---" मैंने तुझे लोगों का ध्यान मुझमे लगाने के लिये पृथ्वी पर भेजा था, पर तू उन्हें मुझसे दूर कर रहा है | तूने उस गड़रिये की श्रद्धा क्यों गड़बड़ाई ? उसकी उपासना निश्छल भाव से की गई प्रार्थना है | " मूसा ने क्षमा मांगी |
मूसा जंगल से जा रहे थे | एक गड़रिया मिला, वह घुटनों के बल झुककर प्रार्थना कर रहा था--" हेखुदा ! अगर तेरा दीदार हो जाये तो तेरी खूब सेवा करूँगा, तेरे शरीर की खूब मालिश करके तुझे नहलाऊँगा | तेरे पाँव दबाऊंगा और तुझे बिस्तर पर सुलाऊँगा | तू बीमार पड़ेगा तो तेरी दवा करूँगा | मैं जिंदगी भर तेरा अच्छा गुलाम बनकर रहूँगा | " हजरत मूसा ने यह सब सुना तो उन्हें बुरा लगा | डांटते हुए बोले --" मूर्ख ! तू किससे यह बात कर रहा था ? " वह बोला--" खुदा से कर रहा था | "
मूसा बोले --" तू बड़ा अज्ञानी है | अरे !खुदा कहीं बीमार पड़ता है | वह तो अजन्मा है, वह तो कण-कण में व्याप्त है, उसका कोई शरीर नहीं होता | "
गड़रिया चुप रहा, उसने गलती की क्षमा मांग ली | रात में जब मूसा प्रार्थना करने बैठे तो आवाज आई---" मैंने तुझे लोगों का ध्यान मुझमे लगाने के लिये पृथ्वी पर भेजा था, पर तू उन्हें मुझसे दूर कर रहा है | तूने उस गड़रिये की श्रद्धा क्यों गड़बड़ाई ? उसकी उपासना निश्छल भाव से की गई प्रार्थना है | " मूसा ने क्षमा मांगी |
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