'संपूर्ण शरणागति ही भक्ति है, जो संकटों में, विषमताओं में, विपरीतताओं में विकसित होती है । '
भक्ति भावों को परिष्कृत करती है, व्यवहार में व्यक्ति को अपेक्षाकृत अधिक उदार व सहिष्णु बनाती है |
जीवन की जटिलताएं व समस्याएं शांति छीनती हैं और जिसकी शांति छिन गई वह कभी भी सुखी नहीं रह पाता । लेकिन भक्त की स्थिति थोड़ी सी अलग है । जिंदगी की कोई समस्या या जटिलता उसकी शांति नहीं छीन सकती । भक्त के पास होता है- प्रभु का नाम, उनका विश्वास, उनकी निष्ठा, उनकी आस्था, उनकी श्रद्धा ।
विपदाओं और विपत्तियों में केवल भक्त की ही परीक्षा नहीं होती है, इन क्षणों में भगवान की भी परीक्षा होती है । भक्त की परीक्षा इस बात की होती है कि भक्त की श्रद्धा, आस्था कितनी सच्ची व अडिग है और भगवान की परीक्षा इस बात की होती है कि वे कितने भक्तवत्सल एवं कितने समर्थ हैं ।
भगवान का अपने भक्त से सतत जुड़ाव ही भक्त को सर्वथा शांत एवं परमानंद में मग्न रखता है । जो भक्ति-पथ पर चलता है उसे किसी भी समस्या के बारे में चिंतित नहीं होना पड़ता ।
' संसार में रहकर अपने समस्त सांसारिक दायित्वों को निभाते हुए, हर पल ईश्वर को याद करते हुए एक कर्मयोगी की भांति जीवन जीने का नाम है---भक्ति । '
भक्ति भावों को परिष्कृत करती है, व्यवहार में व्यक्ति को अपेक्षाकृत अधिक उदार व सहिष्णु बनाती है |
जीवन की जटिलताएं व समस्याएं शांति छीनती हैं और जिसकी शांति छिन गई वह कभी भी सुखी नहीं रह पाता । लेकिन भक्त की स्थिति थोड़ी सी अलग है । जिंदगी की कोई समस्या या जटिलता उसकी शांति नहीं छीन सकती । भक्त के पास होता है- प्रभु का नाम, उनका विश्वास, उनकी निष्ठा, उनकी आस्था, उनकी श्रद्धा ।
विपदाओं और विपत्तियों में केवल भक्त की ही परीक्षा नहीं होती है, इन क्षणों में भगवान की भी परीक्षा होती है । भक्त की परीक्षा इस बात की होती है कि भक्त की श्रद्धा, आस्था कितनी सच्ची व अडिग है और भगवान की परीक्षा इस बात की होती है कि वे कितने भक्तवत्सल एवं कितने समर्थ हैं ।
भगवान का अपने भक्त से सतत जुड़ाव ही भक्त को सर्वथा शांत एवं परमानंद में मग्न रखता है । जो भक्ति-पथ पर चलता है उसे किसी भी समस्या के बारे में चिंतित नहीं होना पड़ता ।
' संसार में रहकर अपने समस्त सांसारिक दायित्वों को निभाते हुए, हर पल ईश्वर को याद करते हुए एक कर्मयोगी की भांति जीवन जीने का नाम है---भक्ति । '
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