फ्रांस के महान साहित्यकार वाल्टेयर सारे जीवन संघर्ष करते रहे | वर्षों तक उन्हें जेल में रहना पड़ा, लेकिन उनके जीवन का प्रत्येक क्षण और साहित्य का प्रत्येक वाक्य ऊर्जा से भरपूर बना रहा । उनके चारों ओर ऊर्जा , उल्लास एवं उत्साह छलकता रहता । जो कोई भी उनसे मिलता, वह भी इनसे ओत-प्रोत हो जाता । एक दिन उनके एक क्रांतिकारी सहयोगी ने उनसे पूछा---" आखिर आप इतनी ऊर्जा लाते कहां से हैं ? " उन्होंने उत्तर दिया--" ईश्वर से । "
क्रांतिकारी साथी ने उनसे फिर सवाल किया---" क्या आपको विश्वास है कि कहीं ईश्वर है ? "
उन्होंने उत्तर में पूरे आत्मविश्वास से कहा --"इसमें विश्वास की क्या बात है । तुम ईश्वर की खोज के लिये अपने जीवन में प्रयोग करने लग जाओ । ईश्वर---अनुसंधान के प्रयोगों में तुम जितने ज्यादा लीन होगे, तुम्हारा जीवन ऊर्जा, उल्लास एवं उत्साह से भरता चला जायेगा । ईश्वर कोई विश्वास की वस्तु नहीं, यह तो अध्यात्म के वैज्ञानिक प्रयोगों के परिणाम में प्राप्त होने वाली अनुभूति है । "
क्रांतिकारी साथी ने उनसे फिर सवाल किया---" क्या आपको विश्वास है कि कहीं ईश्वर है ? "
उन्होंने उत्तर में पूरे आत्मविश्वास से कहा --"इसमें विश्वास की क्या बात है । तुम ईश्वर की खोज के लिये अपने जीवन में प्रयोग करने लग जाओ । ईश्वर---अनुसंधान के प्रयोगों में तुम जितने ज्यादा लीन होगे, तुम्हारा जीवन ऊर्जा, उल्लास एवं उत्साह से भरता चला जायेगा । ईश्वर कोई विश्वास की वस्तु नहीं, यह तो अध्यात्म के वैज्ञानिक प्रयोगों के परिणाम में प्राप्त होने वाली अनुभूति है । "
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