' भगवान मानवीय काया सभी को देता है , पर सभी उसका सदुपयोग नहीं कर पाते हैं । उनका अज्ञान , अहंकार उन्हें इस कायारूपी यंत्र का उपयोग करने नहीं देता , पर यदि कोई इनकी उपेक्षा कर अपनी कायारूपी वीणा से मधुर स्वर निकालने लगे तो न केवल उसे , वरन उसके समीप वालों को भी ईश्वरीय आनंद की झलक मिलने लगेगी । '
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साधना और कुछ नहीं , अपनी वीणा को सही ढंग से बजाना ही है । '
साधना जीवन जीने की कला का नाम है । जो मानवीय अस्तित्व की गरिमा समझ सका और उसे अनगढ़ स्थिति से निकालकर सुसंस्कृत पद्धति से जी सका , उसे सर्वोपरि कलाकार कह सकते हैं ।
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साधना और कुछ नहीं , अपनी वीणा को सही ढंग से बजाना ही है । '
साधना जीवन जीने की कला का नाम है । जो मानवीय अस्तित्व की गरिमा समझ सका और उसे अनगढ़ स्थिति से निकालकर सुसंस्कृत पद्धति से जी सका , उसे सर्वोपरि कलाकार कह सकते हैं ।
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