अर्नाल्ड टायनबी ब्रिटिश साहित्यकार थे, पर उनकी आत्मा में भारत, भारतीय संस्कृति का निवास
था । उनने एक शोध ग्रंथ लिखा है, उसमे भारतीय दर्शन को सर्वोपरि ठहराते हुए उसकी समीक्षात्मक तुलना की है । अकेले टायनबी ने जो कार्य किया था, वह एक व्यक्ति का नहीं पूरे मिशन का कार्य था । आज जिस वैज्ञानिक अध्यात्मवाद की चर्चा होती है, उस पर उनने आज से लगभग 75 वर्ष पूर्व लेखनी चला दी थी । वे लिखते हैं---" अध्यात्मिक परिपक्वता विज्ञान द्वारा नहीं, बल्कि धर्म द्वारा ही प्राप्त हो सकती है । मुझे आशा है कि 21 वीं सदी का मानव सच्चे धर्म की खोज कर लेगा । यह धर्म विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय पर आधारित होगा । "
था । उनने एक शोध ग्रंथ लिखा है, उसमे भारतीय दर्शन को सर्वोपरि ठहराते हुए उसकी समीक्षात्मक तुलना की है । अकेले टायनबी ने जो कार्य किया था, वह एक व्यक्ति का नहीं पूरे मिशन का कार्य था । आज जिस वैज्ञानिक अध्यात्मवाद की चर्चा होती है, उस पर उनने आज से लगभग 75 वर्ष पूर्व लेखनी चला दी थी । वे लिखते हैं---" अध्यात्मिक परिपक्वता विज्ञान द्वारा नहीं, बल्कि धर्म द्वारा ही प्राप्त हो सकती है । मुझे आशा है कि 21 वीं सदी का मानव सच्चे धर्म की खोज कर लेगा । यह धर्म विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय पर आधारित होगा । "
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