मनुष्य जीवन अनंत संभावनाओं और अदभुत क्षमताओं का भांडागार है | अन्तर्निहित क्षमताओं को पहचान कर और उनका सदुपयोग करके व्यक्तित्व विकसित और आकर्षक बन सकता है |
प्रख्यात सम्राट चंद्रगुप्त का पुत्र समुद्रगुप्त बड़ा वीर एवं दूरदर्शी था | ईसवी 335 में उसने पिता का साम्राज्य संभाला | भारतभूमि के एकीकरण के मंतव्य से समुद्रगुप्त ने भोग-विलास में डूबे राजाओं से प्रजा की रक्षा करने का संकल्प लिया |
अपनी दिग्विजय यात्रा में उसने दक्षिण के महानदी की तलहटी में बसे, सभी राज्यों को राष्ट्रीय संघ की मूलधारा में सम्मिलित किया | वह जानता था कि शक्तिबल पर बनाया संगठन क्षणिक एवं अस्थिर होता है | प्रेम-सौहार्द, सौजन्य के आधार पर, उसने सारे राष्ट्र का एकीकरण किया |
अधिकतर राजा उसके चरित्रबल, संकल्पशक्ति के समक्ष झुकते चले गये, उसके महान राष्ट्रीय उद्देश्य से प्रभावित होकर एकछत्र हो गये | सैकड़ों भागों में विभक्त भारतभूमि को एक कर उसने वेदोक्त ढंग से अश्वमेध महायज्ञ का आयोजन किया और वह भारत के चक्रवर्ती सम्राट के पद पर प्रतिष्ठित हुआ |
उसके प्रभाव से लंका, स्याम देश, गांधार, भूटान तक के क्षेत्र के शासकों ने उसका वर्चस्व स्वीकार कर, उसे अपना अधिपति मान लिया था |
केवल एक संयमी सम्राट के हो जाने से भारत का यह काल इतिहास में स्वर्णयुग के नाम से प्रसिद्ध है | ............. ..
प्रख्यात सम्राट चंद्रगुप्त का पुत्र समुद्रगुप्त बड़ा वीर एवं दूरदर्शी था | ईसवी 335 में उसने पिता का साम्राज्य संभाला | भारतभूमि के एकीकरण के मंतव्य से समुद्रगुप्त ने भोग-विलास में डूबे राजाओं से प्रजा की रक्षा करने का संकल्प लिया |
अपनी दिग्विजय यात्रा में उसने दक्षिण के महानदी की तलहटी में बसे, सभी राज्यों को राष्ट्रीय संघ की मूलधारा में सम्मिलित किया | वह जानता था कि शक्तिबल पर बनाया संगठन क्षणिक एवं अस्थिर होता है | प्रेम-सौहार्द, सौजन्य के आधार पर, उसने सारे राष्ट्र का एकीकरण किया |
अधिकतर राजा उसके चरित्रबल, संकल्पशक्ति के समक्ष झुकते चले गये, उसके महान राष्ट्रीय उद्देश्य से प्रभावित होकर एकछत्र हो गये | सैकड़ों भागों में विभक्त भारतभूमि को एक कर उसने वेदोक्त ढंग से अश्वमेध महायज्ञ का आयोजन किया और वह भारत के चक्रवर्ती सम्राट के पद पर प्रतिष्ठित हुआ |
उसके प्रभाव से लंका, स्याम देश, गांधार, भूटान तक के क्षेत्र के शासकों ने उसका वर्चस्व स्वीकार कर, उसे अपना अधिपति मान लिया था |
केवल एक संयमी सम्राट के हो जाने से भारत का यह काल इतिहास में स्वर्णयुग के नाम से प्रसिद्ध है | ............. ..
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