' शिक्षित और विचारशील लोग जब तक नैतिक आचरण नहीं करते सामान्य प्रजा तब तक सुधरती नहीं । '
कमल सरोवर के निकट बैठे तथागत शांत मुद्रा में गंधपान कर रहे थे । तभी एक देवकन्या ने कहा---" तुम बिना कुछ दिए ही गंध का पान कर रहे हो । तुम गंध चोर हो । "
तथागत ने देखा और सिर झुका लिया । तभी एक ग्रामीण बालिका आई और निर्दयतापूर्वक कमल पुष्प तोड़ने लगी । तालाब का पानी भी अस्वच्छ कर दिया । देवकन्या अभी भी खड़ी थी ।
उसे मौन देखकर तथागत ने कहा-- " देवि ! मैंने तो केवल गंधपान किया था , तब भी तुमने मुझे चोर कहा और यह तो कमल पुष्प तोड़ रही है, सरोवर को अस्वच्छ भी कर रही है । तब भी तुम इससे कुछ नहीं कह रहीं । "
देवकन्या ने कहा---" यह अज्ञानी है, अबोध है । क्या उचित है, क्या अनुचित है, यह वह नही जानती । उसके कार्यकलाप सहज संचालित हैं । लेकिन आप ज्ञानी हैं, नीति मर्मज्ञ हैं, धर्म के ज्ञाता हैं । क्या श्रेय है और क्या प्रेय है । यह आप भली प्रकार जानते हैं । आपकी छोटी से छोटी क्रिया भी औचित्य एवं अनौचित्य की कसौटी पर कसकर क्रियान्वित होनी चाहिये । "
पुन: तथागत का शीश अवनत हो गया, उन्होंने अनुभव किया----बुद्धिजीवी विचारशील वर्ग पर समाज की जिम्मेदारी है, अत: जब तक शिक्षित और विचारशील लोग नैतिक आचरण नहीं करते तब तक सामान्य प्रजा सुधरती नहीं ।
कमल सरोवर के निकट बैठे तथागत शांत मुद्रा में गंधपान कर रहे थे । तभी एक देवकन्या ने कहा---" तुम बिना कुछ दिए ही गंध का पान कर रहे हो । तुम गंध चोर हो । "
तथागत ने देखा और सिर झुका लिया । तभी एक ग्रामीण बालिका आई और निर्दयतापूर्वक कमल पुष्प तोड़ने लगी । तालाब का पानी भी अस्वच्छ कर दिया । देवकन्या अभी भी खड़ी थी ।
उसे मौन देखकर तथागत ने कहा-- " देवि ! मैंने तो केवल गंधपान किया था , तब भी तुमने मुझे चोर कहा और यह तो कमल पुष्प तोड़ रही है, सरोवर को अस्वच्छ भी कर रही है । तब भी तुम इससे कुछ नहीं कह रहीं । "
देवकन्या ने कहा---" यह अज्ञानी है, अबोध है । क्या उचित है, क्या अनुचित है, यह वह नही जानती । उसके कार्यकलाप सहज संचालित हैं । लेकिन आप ज्ञानी हैं, नीति मर्मज्ञ हैं, धर्म के ज्ञाता हैं । क्या श्रेय है और क्या प्रेय है । यह आप भली प्रकार जानते हैं । आपकी छोटी से छोटी क्रिया भी औचित्य एवं अनौचित्य की कसौटी पर कसकर क्रियान्वित होनी चाहिये । "
पुन: तथागत का शीश अवनत हो गया, उन्होंने अनुभव किया----बुद्धिजीवी विचारशील वर्ग पर समाज की जिम्मेदारी है, अत: जब तक शिक्षित और विचारशील लोग नैतिक आचरण नहीं करते तब तक सामान्य प्रजा सुधरती नहीं ।
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