अवंतिका की विशाल जनसभा समाप्त हो गई थी, सब अपनी-अपनी शंकाओं के समाधान तथागत से करा रहे थे | एक बालक जो अति जिज्ञासु दिखाई देता था, उसने अवसर मिलते ही तथागत से पूछा-- " भगवन ! संसार में सबसे छोटा कौन है ?"
भगवान बुद्ध कुछ गंभीर हुए और बोले---" जो केवल अपनी बात सोचता है, अपने स्वार्थ कों सर्वोपरि मानता है |
जबतक केवल पाने की अभिलाषा रहती मनुष्य बिलकुल छोटा, दीन, असहाय और बेकार सा लगता है किंतु जैसे ही उसके शरीर, मन, बुद्धि और संपूर्ण साधनों की दशा चतुर्मुखी होने लगती है वैसे ही उसकी महानता बढ़ने लगती है और वह अपने जीवन लक्ष्य की ओर अग्रसर होने लगता है
भगवान बुद्ध कुछ गंभीर हुए और बोले---" जो केवल अपनी बात सोचता है, अपने स्वार्थ कों सर्वोपरि मानता है |
जबतक केवल पाने की अभिलाषा रहती मनुष्य बिलकुल छोटा, दीन, असहाय और बेकार सा लगता है किंतु जैसे ही उसके शरीर, मन, बुद्धि और संपूर्ण साधनों की दशा चतुर्मुखी होने लगती है वैसे ही उसकी महानता बढ़ने लगती है और वह अपने जीवन लक्ष्य की ओर अग्रसर होने लगता है
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