' जीवन का आधार देह है | देह जीवन की अभिव्यक्ति है और व्यक्तित्व इसकी दिव्य सुगंध । '
जीवन जीने की कला का प्रथम सोपान है---- सुंदर, सुघड़ व्यक्तित्व का निर्माण ।
व्यक्तित्व व्यवहार जगत का प्रमुख कारक है । व्यवहार जगत में भावनाओं के स्थान पर बुद्धि एवं तर्क का महत्व है । किससे किस प्रकार का व्यवहार किया जाये, किस स्थान पर कैसा व्यवहार करना चाहिये, ये सभी गणित के प्रमेय के समान हैं । सेल्समैन व्यवहार कुशल होते हैं, यहाँ भावना नहीं, बुद्धि का नियोजन आवश्यक है ।
लेकिन संबंधों के धरातल पर भावनाओं की जरुरत है । यदि इस स्थान पर बुद्धि का गणित बुन लिया जाये तो संबंध कभी स्थिर, टिकाऊ एवं सुद्रढ़ नहीं बन पायेंगे ।
अत: हमें व्यवहार जगत एवं भाव जगत का घालमेल नहीं करना चाहिये । इसका संतुलित व्यवहार ही हमारे समग्र व्यक्तित्व का परिचायक है ।
जीवन जीना एक तकनीक है , कला है । जो इसे जानता है, सही मायने में वही कलाकार एवं प्रतिभावान है ।
जीवन जीने की कला का प्रथम सोपान है---- सुंदर, सुघड़ व्यक्तित्व का निर्माण ।
व्यक्तित्व व्यवहार जगत का प्रमुख कारक है । व्यवहार जगत में भावनाओं के स्थान पर बुद्धि एवं तर्क का महत्व है । किससे किस प्रकार का व्यवहार किया जाये, किस स्थान पर कैसा व्यवहार करना चाहिये, ये सभी गणित के प्रमेय के समान हैं । सेल्समैन व्यवहार कुशल होते हैं, यहाँ भावना नहीं, बुद्धि का नियोजन आवश्यक है ।
लेकिन संबंधों के धरातल पर भावनाओं की जरुरत है । यदि इस स्थान पर बुद्धि का गणित बुन लिया जाये तो संबंध कभी स्थिर, टिकाऊ एवं सुद्रढ़ नहीं बन पायेंगे ।
अत: हमें व्यवहार जगत एवं भाव जगत का घालमेल नहीं करना चाहिये । इसका संतुलित व्यवहार ही हमारे समग्र व्यक्तित्व का परिचायक है ।
जीवन जीना एक तकनीक है , कला है । जो इसे जानता है, सही मायने में वही कलाकार एवं प्रतिभावान है ।
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