मनुष्य जीवन का अक्षय श्रंगार है----- आंतरिक विकास | ह्रदय की पवित्रता एक ऐसा प्रसाधन है, जो मनुष्य को बाहर-भीतर से एक ऐसी सुंदरता से ओत-प्रोत कर देता है, जिसका आकर्षण जीवन भर बना रहता है |
कोमल स्वभाव, सबका भला चाहना, किसी का बुरा न करना, क्षमा करना, धैर्य रखना, किसी का तिरस्कार न करना ये सब कार्य आयु को बढ़ाने वाले हैं |
कोमल स्वभाव, सबका भला चाहना, किसी का बुरा न करना, क्षमा करना, धैर्य रखना, किसी का तिरस्कार न करना ये सब कार्य आयु को बढ़ाने वाले हैं |
No comments:
Post a Comment