मनुष्य की महानता उसकी विवेकशक्ति में ही है । उसके विकास का और पशुओं से उसकी श्रेष्ठता का मुख्य कारण उसकी विवेकशक्ति अर्थात बुद्धि है, वह भी ऋतंभरा स्तर की । जब यह कार्य करना बंद कर दे, तो उसका सर्वनाश सुनिश्चित है ।
रावण विद्वान् था, पराक्रमी सिद्धपुरुष था, शिवजी का वरदान प्राप्त तपस्वी था लेकिन बुद्धि का नाश होने से क्रमश: पतन को प्राप्त होता गया ।
गायत्री महाशक्ति की कृपा से विवेक जाग्रत होता है, सद्बुद्धि प्राप्त होती है । जिससे अंत:करण में प्रसन्नता और शांति प्राप्त होती है ।
रावण विद्वान् था, पराक्रमी सिद्धपुरुष था, शिवजी का वरदान प्राप्त तपस्वी था लेकिन बुद्धि का नाश होने से क्रमश: पतन को प्राप्त होता गया ।
गायत्री महाशक्ति की कृपा से विवेक जाग्रत होता है, सद्बुद्धि प्राप्त होती है । जिससे अंत:करण में प्रसन्नता और शांति प्राप्त होती है ।
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