' मनुष्य के पास जो कुछ भी विशेषता है, जिसके कारण वह स्वयं उन्नति करता है और समाज को ऊँचा उठा ले जाता है, वह उसके अंतर की विचारधारा है, चेतना है । '
जीवन की अधिकांश समस्याओं की जड़ विचारों व भावनाओं में धँसी होती है । आत्मविश्वास की कमी, भावनाओं के विक्षोभ, विचारों में द्वन्द , इन समस्याओं के कारण है ।
यदि विचारों का, भावनाओं का परिष्कार हो जाए, जिंदगी में आध्यात्मिक द्रष्टिकोण को अपना लिया जाये तो जीवन सहज ही समस्यामुक्त हो जायेगा
अनीति का अंत करने के लिए परशुराम ने महाकाल की आराधना की । लोकमंगल के लिए मांगने आये साधक को महाकाल ने परशु अस्त्र दिया, जिससे वे उन मस्तिष्कों का उच्छेदन कर सकें, जो पाप और अन्याय से, अविवेक और अज्ञान से ग्रसित होकर अपना व संसार का विनाश कर रहे हैं ।
सभी अनाचारियों के सिर परशुराम ने काट डाले------ इसका आलंकारिक विवेचन यह है कि उन्होंने अनाचारी को सदाचारी बना दिया, उनके विचारों को आमूलचूल परिवर्तित कर दिया ।
परशु अर्थात सद्ज्ञान के प्रचार-प्रसार द्वारा जनमानस का परिष्कार किया । उनकी रचनात्मक और संघर्षात्मक शक्तियां निर्धारित दिशा में लगीं, तो लोकमानस पर उसका प्रभाव पड़ा ।
जीवन की अधिकांश समस्याओं की जड़ विचारों व भावनाओं में धँसी होती है । आत्मविश्वास की कमी, भावनाओं के विक्षोभ, विचारों में द्वन्द , इन समस्याओं के कारण है ।
यदि विचारों का, भावनाओं का परिष्कार हो जाए, जिंदगी में आध्यात्मिक द्रष्टिकोण को अपना लिया जाये तो जीवन सहज ही समस्यामुक्त हो जायेगा
अनीति का अंत करने के लिए परशुराम ने महाकाल की आराधना की । लोकमंगल के लिए मांगने आये साधक को महाकाल ने परशु अस्त्र दिया, जिससे वे उन मस्तिष्कों का उच्छेदन कर सकें, जो पाप और अन्याय से, अविवेक और अज्ञान से ग्रसित होकर अपना व संसार का विनाश कर रहे हैं ।
सभी अनाचारियों के सिर परशुराम ने काट डाले------ इसका आलंकारिक विवेचन यह है कि उन्होंने अनाचारी को सदाचारी बना दिया, उनके विचारों को आमूलचूल परिवर्तित कर दिया ।
परशु अर्थात सद्ज्ञान के प्रचार-प्रसार द्वारा जनमानस का परिष्कार किया । उनकी रचनात्मक और संघर्षात्मक शक्तियां निर्धारित दिशा में लगीं, तो लोकमानस पर उसका प्रभाव पड़ा ।
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