' महामानव निजता में नहीं, व्यापकता में जीते हैं । उन्हें अपने निजी दुःखों से जैसे सरोकार ही नहीं होता, लेकिन जनजीवन के दुःख उन्हें पीड़ित करते हैं । '
गांधी जी की मृत्यु होने पर सरदार पटेल को इतना मानसिक धक्का लगा कि उनकी स्वाभाविक हँसी बिलकुल गायब हो गई और बीस दिनों के भीतर ही उनको ह्रदय रोग हो गया । उन्होंने कहा---- " गांधी जी की सही जरुरत तो देश को अब है । अभी देश को एक नई क्रांति की जरुरत है । ऐसी क्रांति जो देश के नागरिकों को सही ढंग से जीना सिखाए, राजनेताओं और प्रशासकों को स्वच्छ प्रशासन की समझ दे और देश में भ्रष्टाचार का अँधेरा बढ़ने न दे । " कहीं अंदर ही अंदर वे भ्रष्टाचार से चिंतित थे ।
उनका कहना था कि आज समूची दुनिया को क्रांति के एक ऐसे वैचारिक आधार की जरुरत है, जो व्यक्ति, परिवार व समाज की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत कर सके और लोगों के दिलों को आध्यात्मिक भावनाओं से जोड़ने में समर्थ हो, जो पुरातन का सम्मान करते हुए आधुनिकता को स्वीकार करे ।
जर्मनी के एकीकरण में जो भूमिका बिस्मार्क ने और जापान के एकीकरण में जो कार्य मिकाडो ने किया, उनसे बढ़कर सरदार पटेल का कार्य कहा जायेगा, जिनने भारत जैसे उपमहाद्वीप को, विभाजन की आँधी में टुकड़े-टुकड़े होने से रोका । एक - दो नहीं, सैकड़ों राजा भारतवर्ष में विद्दमान थे । उनका एकीकरण सरदार पटेल जैसा कुशल नीतिज्ञ ही कर सकता था । इसी कारण उन्हें लौह पुरुष कहा जाता है । हमें फिर वैसी ही, उसी स्तर की जिजीविषा वाली शक्तियों की जरुरत है ।
गांधी जी की मृत्यु होने पर सरदार पटेल को इतना मानसिक धक्का लगा कि उनकी स्वाभाविक हँसी बिलकुल गायब हो गई और बीस दिनों के भीतर ही उनको ह्रदय रोग हो गया । उन्होंने कहा---- " गांधी जी की सही जरुरत तो देश को अब है । अभी देश को एक नई क्रांति की जरुरत है । ऐसी क्रांति जो देश के नागरिकों को सही ढंग से जीना सिखाए, राजनेताओं और प्रशासकों को स्वच्छ प्रशासन की समझ दे और देश में भ्रष्टाचार का अँधेरा बढ़ने न दे । " कहीं अंदर ही अंदर वे भ्रष्टाचार से चिंतित थे ।
उनका कहना था कि आज समूची दुनिया को क्रांति के एक ऐसे वैचारिक आधार की जरुरत है, जो व्यक्ति, परिवार व समाज की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत कर सके और लोगों के दिलों को आध्यात्मिक भावनाओं से जोड़ने में समर्थ हो, जो पुरातन का सम्मान करते हुए आधुनिकता को स्वीकार करे ।
जर्मनी के एकीकरण में जो भूमिका बिस्मार्क ने और जापान के एकीकरण में जो कार्य मिकाडो ने किया, उनसे बढ़कर सरदार पटेल का कार्य कहा जायेगा, जिनने भारत जैसे उपमहाद्वीप को, विभाजन की आँधी में टुकड़े-टुकड़े होने से रोका । एक - दो नहीं, सैकड़ों राजा भारतवर्ष में विद्दमान थे । उनका एकीकरण सरदार पटेल जैसा कुशल नीतिज्ञ ही कर सकता था । इसी कारण उन्हें लौह पुरुष कहा जाता है । हमें फिर वैसी ही, उसी स्तर की जिजीविषा वाली शक्तियों की जरुरत है ।
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