शांति को मनुष्य जीवन का परम सुख कहा गया है । श्रीमदभगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को यह कहते हैं कि ' अशान्तस्य कुत: सुखम ' अर्थात अशांत व्यक्ति कभी भी सुखी नहीं रह सकता
भौतिक सुख-सुविधाएँ और बौद्धिक ज्ञान-विज्ञान, दोनों ही व्यक्ति को आंतरिक शांति नहीं दे सकते हैं । धन और सुविधाएँ व्यक्ति को शारीरिक सुख तो दे सकते हैं, किंतु आत्मिक आनंद नहीं । सच्ची शांति और आनंद तो केवल संयम और संतोष से ही मिलते हैं ।
' सादा जीवन उच्च विचार ' श्रेष्ठतम जीवन की राह-- आदर्श जीवनद्रष्टि है जो इसे जीवन में अपना लेता है उसे इस संसार की सबसे कीमती चीज उपलब्ध होती है, जिसका नाम है---- संतुष्टि ।
यह सत्य है कि इस संसार में जिसके जीवन में आदर्श जीवनद्रष्टि है उसका जीवन नित नई सफलताओं के शिखर गढ़ता हुआ संतुष्टि के अथाह समुद्र में आश्रय प्राप्त करता है ।
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' सादा जीवन उच्च विचार ' श्रेष्ठतम जीवन की राह-- आदर्श जीवनद्रष्टि है जो इसे जीवन में अपना लेता है उसे इस संसार की सबसे कीमती चीज उपलब्ध होती है, जिसका नाम है---- संतुष्टि ।
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