' आज संसार की द्रष्टि में यूक्लिड का जो महत्व है, वह किसी भी महान शोधकर्ता, वैज्ञानिक से कम नहीं है । नींव के पत्थरों को सदा अंधकार तथा सीलन सहन करना ही होता है । यूक्लिड का जीवन उपेक्षा, कष्ट व पीड़ाएँ सहते हुए निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता ही रहा । '
यूक्लिड बचपन से ही तीव्र बुद्धि के प्रतिभावान बालक थे । स्कूल में जब भी उन्हें तनिक सा भी समय मिलता-- पृथ्वी पर आड़ी-टेड़ी रेखाएं खींचा करते थे । उनकी प्रतिभा को किसी ने पहचाना नहीं, उनके शिक्षक ने उनके पिता को एक पत्र लिखा, जिसमे कहा गया कि--- " यूक्लिड का मस्तिष्क विकृत हो गया है और वह जमीन पर व्यर्थ के नक्शे बनाया करता है । "
सभी टोकते किन्तु यूक्लिड की लगन में कोई कमी नहीं आयी । वे निरंतर पृथ्वी पर ज्यामिति संबंधी कोण बनाया करते तथा नये-नये सिद्धांतों का निर्माण किया करते । कभी-कभी तो वे अपनी साधना में इतना तन्मय हो जाते कि उन्हें खाने-पीने की भी सुधि नहीं रहती । एक दिन यूक्लिड के पिता अपने मित्रों के साथ वार्तालाप में मग्न थे । सामने ही यूक्लिड पृथ्वी पर तरह-तरह के रेखाचित्र बना रहा था, एकाएक वह रेखाएं खींचते हुए बड़ा ही आनंदित होकर गाना गाने लगा । जिसको देखकर सभी विस्मित हों गये । गाने का आशय था---- " किसी त्रिभुज की तीनो भुजाएं बराबर होने पर उस्के तीनों कोण भी आपस में बराबर होते हैं | इसी तरह त्रिभुज के तीनो कोण बराबर होने पर उसकी तीनो भुजाएँ बराबर होती हैं । "
उनके पिता गाना समझ न पाये और पत्नी से बोले---- ' यूक्लिड की बेसिरपैर की हरकतों का उपाय मैंने सोच लिया है, उसे पागलखाने भेज देना चाहिए । " किन्तु माँ ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया और यूक्लिड से पूछा --- " तुम मुझे बताओ कि तुम यह दिन -रात क्या किया करते हो ?"
यूक्लिड ने कहा --- मुझे एक ऐसे विषय की जानकारी हो गई है जिसे अभी तक कोई नहीं जानता , इसी कारण लोग मुझे पागल कहते हैं । माँ तो आश्वस्त हो गई किन्तु यह संसार -- यह नहीं समझ सका कि यूक्लिड एक नया विज्ञान रच रहा है , वह निरंतर उसे पीड़ित ही करता रहा ।
आज ज्यामिति शास्त्र को लोगों ने जाना -समझा । हर भवन की नींव में , विज्ञान के प्रत्येक चरण के प्रत्येक कोण में तथा सम्पूर्ण व्योम मण्डल के प्रत्येक ग्रह की गति की जानकारी में यूक्लिड की प्रतिभा प्रतिबिंबित है । जब वह मृत्यु शैया पर पड़ा था तो उसने अपनी पत्नी से कहा --- मैंने जो कुछ किया उसे लोग एक दिन जरूर समझेंगे , भविष्य बतायेगा कि मैं पागल नहीं था । अपने पुत्रों को अपने अथक परिश्रम का प्रतिफल -- ज्यामिति के तत्व , अपनी डायरी सौंपकर कहा -- इन्हे बहुत संभाल कर रखना , भविष्य में संसार को इसकी आवश्यकता पड़ेगी । महान गणितज्ञ जिसे संसार ने उपहास , तिरस्कार के सिवाय कुछ न दिया ज्यामिति शास्त्र की शोध करके नयी थाती इस संसार को सौंप गया ।
यूक्लिड बचपन से ही तीव्र बुद्धि के प्रतिभावान बालक थे । स्कूल में जब भी उन्हें तनिक सा भी समय मिलता-- पृथ्वी पर आड़ी-टेड़ी रेखाएं खींचा करते थे । उनकी प्रतिभा को किसी ने पहचाना नहीं, उनके शिक्षक ने उनके पिता को एक पत्र लिखा, जिसमे कहा गया कि--- " यूक्लिड का मस्तिष्क विकृत हो गया है और वह जमीन पर व्यर्थ के नक्शे बनाया करता है । "
सभी टोकते किन्तु यूक्लिड की लगन में कोई कमी नहीं आयी । वे निरंतर पृथ्वी पर ज्यामिति संबंधी कोण बनाया करते तथा नये-नये सिद्धांतों का निर्माण किया करते । कभी-कभी तो वे अपनी साधना में इतना तन्मय हो जाते कि उन्हें खाने-पीने की भी सुधि नहीं रहती । एक दिन यूक्लिड के पिता अपने मित्रों के साथ वार्तालाप में मग्न थे । सामने ही यूक्लिड पृथ्वी पर तरह-तरह के रेखाचित्र बना रहा था, एकाएक वह रेखाएं खींचते हुए बड़ा ही आनंदित होकर गाना गाने लगा । जिसको देखकर सभी विस्मित हों गये । गाने का आशय था---- " किसी त्रिभुज की तीनो भुजाएं बराबर होने पर उस्के तीनों कोण भी आपस में बराबर होते हैं | इसी तरह त्रिभुज के तीनो कोण बराबर होने पर उसकी तीनो भुजाएँ बराबर होती हैं । "
उनके पिता गाना समझ न पाये और पत्नी से बोले---- ' यूक्लिड की बेसिरपैर की हरकतों का उपाय मैंने सोच लिया है, उसे पागलखाने भेज देना चाहिए । " किन्तु माँ ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया और यूक्लिड से पूछा --- " तुम मुझे बताओ कि तुम यह दिन -रात क्या किया करते हो ?"
यूक्लिड ने कहा --- मुझे एक ऐसे विषय की जानकारी हो गई है जिसे अभी तक कोई नहीं जानता , इसी कारण लोग मुझे पागल कहते हैं । माँ तो आश्वस्त हो गई किन्तु यह संसार -- यह नहीं समझ सका कि यूक्लिड एक नया विज्ञान रच रहा है , वह निरंतर उसे पीड़ित ही करता रहा ।
आज ज्यामिति शास्त्र को लोगों ने जाना -समझा । हर भवन की नींव में , विज्ञान के प्रत्येक चरण के प्रत्येक कोण में तथा सम्पूर्ण व्योम मण्डल के प्रत्येक ग्रह की गति की जानकारी में यूक्लिड की प्रतिभा प्रतिबिंबित है । जब वह मृत्यु शैया पर पड़ा था तो उसने अपनी पत्नी से कहा --- मैंने जो कुछ किया उसे लोग एक दिन जरूर समझेंगे , भविष्य बतायेगा कि मैं पागल नहीं था । अपने पुत्रों को अपने अथक परिश्रम का प्रतिफल -- ज्यामिति के तत्व , अपनी डायरी सौंपकर कहा -- इन्हे बहुत संभाल कर रखना , भविष्य में संसार को इसकी आवश्यकता पड़ेगी । महान गणितज्ञ जिसे संसार ने उपहास , तिरस्कार के सिवाय कुछ न दिया ज्यामिति शास्त्र की शोध करके नयी थाती इस संसार को सौंप गया ।
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