मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । इस नाते वह समाज में सम्मान भी चाहता है और कुछ लोगों से अपनत्व की अपेक्षा भी रखता है, पर जब उसे वह नहीं मिलता तो वैसी स्थिति में उसके लिए मानसिक संतुलन रखकर उस दिन की प्रतीक्षा करनी आवश्यक होती है जब वह अपने कार्यों द्वारा सम्मान व अपनत्व जीत ले ।
इस कटु सत्य का ज्ञान हो जाना हर व्यक्ति के लिए उपयोगी है कि मनुष्य स्वार्थी और स्वकेन्द्रित होता है , ईर्ष्या, द्वेष और अहंकार के कारण लोग दूसरों की उपेक्षा और तिरस्कार करते हैं, यह संसार का ढर्रा है । इस सत्य को स्वीकार करते हुए स्वयं के जीवन को ऊँचा उठाने का निरंतर प्रयास करना चाहिए ।
इस कटु सत्य का ज्ञान हो जाना हर व्यक्ति के लिए उपयोगी है कि मनुष्य स्वार्थी और स्वकेन्द्रित होता है , ईर्ष्या, द्वेष और अहंकार के कारण लोग दूसरों की उपेक्षा और तिरस्कार करते हैं, यह संसार का ढर्रा है । इस सत्य को स्वीकार करते हुए स्वयं के जीवन को ऊँचा उठाने का निरंतर प्रयास करना चाहिए ।
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